कृषी विभाग की जांच में 11 कंपनीयों के बीज नमुने हुए फेल, फिर भी हुई धडल्ले से बिक्री

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    • किसानों को नुकसान होने पर कंपनी या कृषी विभाग में कौन जिम्मेदार

    यवतमाल. जिले में किसानों को खरीफ फसल सत्र में अच्छे और क्वालीटी युक्त बीज, खाद, रासायनिक दवाईयों उपलब्ध करवाने प्रशासनिक स्तर पर बडे बडे दावे किए जाते है, लेकिन कृषी विभाग के जरीए जिले में बीज कंपनीयों के बीजों के नमुने प्रयोगशाला में भेजे जाने के बाद 11 कंपनीयों के नमुने फेल होने की जानकारी सामने आयी है. एैसे में जिला कृषी विभाग जिले में किसानों के मत्थे मारे जानेवाले इन बीजों के संबंध में संबंधित कंपनीयों के खिलाफ क्या कारवाई करता है, इस ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है.

    उल्लेखनिय है की जिले में 13 लाख 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में साढे 9 लाख हे.में खरीफ फसल ली जाती है.हर वर्ष कृषी विभाग के जरीए जिले में किसानों को लगनेवाले बीजों का मान्सुन से पहले नियोजन होता है, लेकिन बिते अनेक सालों से नकली बीजों और कृषी फसल के लिए लगनेवाली नकली दवाईयों और खाद ने पिछा नही छोडा है, जिससे जिले में किसान आर्थिक तौर पर बर्बाद हो रहे है.

    कृषी विभाग ने दी जानकारी के मुताबिक खरीफ फसल 2022 के लिए किसानों को देने के लिए महाबीज,राष्ट्रीय बीज निगम और निजी बीज कंपनीयों से समन्वय बनाकर सोयाबीन, कपास, ज्वारी, बाजरा, तुअर,मुंग,तील्ली अन्य बीजों की उपलब्धता का मैनेजमेंट किया था. इसके अलावा जिले में किसानों को लगनेवाले बीजों की जरुरत को ध्यान में लेकर 24 लाख 30 हजार कपास बीज पैकेट की मांग दर्ज की गयी थी.

    जिले में सोयाबीन के रुप में प्रमुख फसल ली जाती है.जिससे इस बार कृषी विभाग ने सोयाबीन के बीजों को प्रक्रिया कर उत्पादन के लिए तैयार किया था, लेकिन लचर नियोजन होने का लाभ जिले में बीज कंपनीयों द्वारा लेकर बिना प्रक्रिया किए हुए बीजों को धडल्ले से बेंचा जा रहा है.जिससे इस बार भी सोयाबीन उत्पादन लेनेवाले किसानों को कृषी विभाग के बीज प्रक्रिया और उत्पादन के बाद उचित लाभ नही मिल पाया है.

    इस बार भी प्रतिबंधित एचटीबीटी की धडल्ले से बुआई

    उल्लेखनिय है की इस बार जिले में एचबीटी कपास बीजों के बुआई कों लेकर किसानों में उत्सुकता दिखाई दी.इन बीजों से अच्छा उत्पादन होने के कारण इस बार किसान तेलंगाना, और आंध्रप्रदेश तक जाकर यह बीज जिले में ले आए.बता दें की देश में जेनेटिक इंजिनिअरिंग कमीटी ने एचटीबीटी कपास बीजों को मान्यता नही दी है, इसके पिछे बडी वजह पर्यावरण के लिए यह बीज खतरनाक है, जिससे पर्यावरण सुरक्षा कानून के तहत इन बीजों पर पाबंदी है.इसे ध्यान में लेकर जिले में एचटीबी बीजों की बिक्री न हों, इनकी खेप जिले में न आएं, इसके लिए सतर्कता बरतने का दावा किया जाता है, लेकिन इसके बावजुद इस बार भी जिले में इन बीजों की बडे पैमाने पर बुआई हुई है.

    गौरतलब है की एचटीबीटी बीज पर्यावरण के लिए घातक होने से कृषी विभाग का क्वालीटी कंट्रोल विभाग हर वर्ष बीजों के नमुने लेकर प्रयोगशाला में इनकी जांच करता है. इन बीजों से उत्पादन क्षमता, उनका दर्जा आदी सभी बातें जांची जाती है. लेकिन जिला कृषी विभाग की यंत्रणा एचटीबीटी बीजों से होनेवो नुकसान की जानकारी किसानों तक नही पहूंचाती है. जिसके चलते प्रतिबंधीत होने के बावजुद किसान इन बीजों को मान्सूनपुर्व बुआई कर अच्छा उत्पादन लेने के आस में उन्हे बोते है.

    कृषी विभाग के सुत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस वर्ष खरीफ फसल सत्र से पहले कृषी विभाग ने विभीन्न कंपनीयों के जरीए बेंचे जानेवाले 157 बीजों के नमुने प्रयोगशाला में भेजे थे, जिसमें 6 बीज कंपनीयों के नमुने फेल हुए है, एैसी रिपोर्ट कृषी विभाग ने तैयार की. इसमें कपास बीजों के नमुनों का समावेश है, लेकिन इसके बावजुद इन कंपनीयों द्वारा जिले के किसानों को यह बीज इस बार भी बेंचे गए है, जिससे कृषी विभाग की उदासिनता के कारण किसानों के साथ यह एक तरह से धोखाधडी मानी जा रही है.किसानों को जानकारी न होने के कारण फेल गए नमुनों से जुडी कंपनीयों के बीज खरीद कर बोनेवाले किसानों को यदी आर्थिक नुकसान होता है, तो इसकी जिम्मेदारी किसी होंगी, यह सवाल अब खडा हो चुका है.

    तो दुसरी ओर जिलापरिषद के तहत संचालीत होनेवाले कृषी विभाग की ओर से भी कपास बीजों के नमुनों की इस बार जांच की गयी, इनमें 5 बीज कंपनीयों के बीज नमूने क्वालीटी और उत्पादन के पैमाने पर फेल हुए है, एैसी जानकारी जिला कृषी अधिकारी राजेंद्र मालोदे ने दी है, जिससे इस बार कृषी विभाग की दोनों यंत्रणों द्वारा जांचे गए कंपनीयों के बीज नमुनों में कुल 11 नमुने फेल हो चुके है.लेकिन यह बीज इस बार भी जिले के किसानों को बेंचे गए है, एैसे में हजारों  किसानों के खरीफ फसल की बुआई के बाद उत्पादन को लेकर फिलहाल संभ्रम मन चुका है.