ढाणकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का मामला अधर में लटका,

    Loading

    • डेढ बरस बितने पर भी नही मिल पाया ग्रामीण अस्पताल का दर्जा
    • जनप्रतिनिधीयों की नजरअंदाजी

    ढाणकी. ढाणकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का ग्रामीण अस्पताल में तब्दील होने का सपना डेढ बरस बाद भी अधुरा है, इस प्रक्रिया में कहां देरी हो रही है, इस बारे में किसी को जानकारी नही है. ढाणकी शहर से 30 से 40 खेडेगांव जुडे है, जिससे आधारभुत सार्वजनिक सुविधा के तौर पर स्वास्थ्य सेवा शहर में तत्पर होनी चाहीए, लेकिन इस बंदी ईलाके की जनता बढी आशा से ढाणकी शहर में स्वास्थ्य सेवा के लिए शहर में आती है, लेकिन उन्हे कोई सेवा न मिलने से उन्हे उमरखेड का रास्ता पकडना पडता है.

    इस गंभीर परिस्थिती पर जनप्रतिनिधीयों की जानबुझकर नजरअंदाजी होने की चर्चा फिलहाल जारी है.ढाणकी ग्रामपंचायत से नगरपंचायत में तब्दील होने पर यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को ग्रामीण अस्पताल का दर्जा मिलना जरुरी था, इस बारे में नगरपंचायत को स्वास्थ्य मंत्रालय का ग्रामीण अस्पताल बनने संबंधी पत्र डेढ बरस पुर्व मिला था, लेकिन यह समय बितने के बावजुद इस पर कोई हलचल नही होने से नागरिकों के मन में शंका निर्माण हो रही है.

    ढाणकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का ग्रामीण अस्पताल में रूपांतरण करने के लिए जनप्रतिनिधीयों ने इसके लिए प्रयास करना जरुरी था, लेकिन वें केवल चुनावों तक ही इस बारे में चर्चा रकत है, चुनाव आते ही ढाणकी शहर में नेता और जनप्रतिनिधीयों की यात्रा भरती है, चुनाव समाप्त होते ही वें शहर से गायब हो जाते है, इसके बाद शहर में कोई नेता आकर गांव के संबंध में पुछताछ नही करता है, यह ढाणकी के लिए शोकांतिका है.

    ढाणकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र  ग्रामीण अस्पताल बनने में कहां देरी हो रही है, इसे समझना कठीन हो चुका है, फिलहाल ढाणकीवासीयों को इसका जवाब नही मिल पा रहा है.

    गरीब और जरुतमंद बंदी ईलाके की जनता को स्वास्थ्य केंद्र का बडा आधार है, लेकिन ढाणकी शहर में स्वास्थ्य सेवा निष्क्रीय साबित हो रही है. डेढ बरस बितने पर भी यहां ग्रामीण अस्पताल का दर्जा नही मिल रहा है, इसकी जनप्रतिनिधीयों द्वारा जांच पडताल और प्रयास करने की बजाय शहर को अधर में छोड दिया गा है, राज्य में कोराना संकट फिर से बार बार गहरा रहा है, शहर में स्वास्थ्य सेवा चरमरा जाने से शहर के केंद्र को ग्रामीण अस्पताल का दर्जा देने की मांग अब जोर पकड रही है.