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     उमरखेड. दिपावली में हर किसी में आनंद और उत्साह होता है, किसानों में खरीफ फसल हाथ में आने और इसे बेंचकर दिपावली मनाने और परिवार का उदरनिर्वाह करने के लिए आस होती है. लेकिन इन दिनों तहसील में व्यापारीयों ने सोयाबीन के दाम अचानक गिरा दिए है.

    किसानों से कौडीयों के दामों में सोयाबीन खरीदी की जा रही है. जिससे कम दामों में सोयाबीन बेंचकर दिपावली मनाने से बेहतर दाम बढने पर ही इसे बेंचने का मन किसानों ने बनाया है. जिससे तहसील के बाजारों में दिपावली के पुर्व किसानों की गर्दी नही दिख रही है, एैन दिपावली के मौके पर दाम गिर जाने से किसानों में हताशा का माहौल है, इसका परिणाम बाजारपेठ पर दिख रहा है.

    इस वर्ष खेत के सोयाबीन और कपास का वापसी की बारिश ने काफी नुकसान किया है, किचड और पानी में घुसक किसानों ने जैसे तैसे सोयाबीन बाहर निकाला, उसे उचित दाम मिलकर दिपावली मनाएंगे, एैसी आशा किसानों को थी. लेकिन किसानों की मजबुरी को पहचान कर व्यापारीयों ने एैन दिपावली से पहले सोयाबीन के दाम गिरा दिए, जिससे किसान सोयाबीन बाजार में नही ला रहे है,एैसे में व्यापारीयों को ही इससे नुकसान उठाना पड रहा है, क्योंकी किसानों ने दाम बढने पर ही सोयाबीन बेंचने का फैसला किया है, जिससे व्यापारीयों के पास सोयाबीन की आवक नगण्य है.

    दिपावली किसानों के लिए महत्वपुर्ण उत्सव होता है, घर का रंगरोगन, सजावट, लक्ष्मीपुजन, बली प्रतिपदा, भाईदूज के दिन घरों में उत्साह होता है, लेकिन खेती के व्यवसाय पर प्राकृतिक आपदा, और व्यापारी, सरकार की वक्रदृष्टी पिछा नही छोड रही है, जिससे किसानों में हताशा है. त्यौहार पर सामान खरीदी के लिए बाजारों में किसानों की गर्दी होती थी, लेकिन इस वर्ष सोयाबीन को दाम न मिलने से दो दिनों के मुहाने पर दिपावली आने के बावजुद बाजार में खरीददारों की भीड नही दिख रही है.