लोकसभा चुनाव
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यवतमाल. जिले की 31 ग्रामपंचायतों के चुनाव 5 नवंबर को लिए गए थे. इन सभी ग्रामपंचायतों के परिणाम घोषित हो चुके है. इस साल ग्रामपंचायत चुनावी नतीजों में कांग्रेस पार्टी ने सबसे ज्यादा 17 सीटें जीतकर अपना दबदबा बनाने का काम किया है. वहीं दूसरी ओर दो सीटों पर नई नवेली पार्टी के तौर पर राज्य में अपना पांव पसार रही पार्टी बीआरएस ने भी खाता खोलकर अन्य राजनीतिक दलों को चुनौती देना शुरू कर दिया है. ग्रामपंचायतों के चुनावों को आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों की रिअर्सल के रूप में भी देखा जाने लगा है.

बता दें कि जिले की 31 ग्रामपंचायतों  के नतीजे सोमवार 6 नवंबर को सामने आए. चुनाव में सत्ताधारी पाटिर्यों की साख दांव पर लगी हुई थीं. सत्ताधारी पार्टियों ने जमकर ग्रामीण जनता के बीच चुनाव से पूर्व प्रचार और प्रसार किया. इतना ही नहीं तो विरोधी दलों के उम्मीदवारों ने भी अपना पूरा जोर चुनावी गतिविधियों पर लगाकर रखा हुआ था.

ग्रामीण जनता ने अपने मताधिकार के बलबूते सत्तारूढ और विरोधी दलों के उम्मीदवारों की किस्मत को मतपेटी में बंद कराया. मतपेटी में बंद उम्मीदवारों की किस्मत सोमवार को तहसीलस्तर पर खोल दी गई. इसके बाद यहां पर काफी उलटफेर देखने को मिला. जिसमें सत्ताधारियों को हार का सामना करना पडा और युवा उम्मीदवारों को वर्चस्व देखने को मिला.

जिले में कांग्रेस पार्टी ने सबसे ज्यादा 17 सीटों पर अपनी जीत का परचम लहराया. इसी तरह भाजपा  9 सीटें जीतकर दूसरे नंबर पर रही. जबकि शिंदे शिवसेना गुट को तीन, उबाठा शिवसेना गुट को 2, बीआरएस को 2, राष्ट्रवादी कांग्रेस अजित पवार गट को एक और निर्दलीय उम्मीदवारों ने तीन ग्रामपंचायत में अपना वर्चस्व स्थापित किया.

घाटंजी तहसील के कोपसी कापरी व जांब में बीआरएस ने सत्ता हथिया ली. वहीं रालेगांव में सभी 6 ग्रामपंचायतों पर कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया. मारेगांव में गोंड बुरांडा व खडकी बुरांडा में निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की. वहीं तीन जगहों पर कांग्रेस और दो जगहों पर सेना भाजपा ने सीट जीती है.

इस चुनाव में भाजपा विधायक अशोक उईके, मदन येरावार, डा. संदीप धुर्वे, संजीवरेड्डी बोदकुरवार के पैनल को हार का सामना करना पडा. वहीं पुसद में कांग्रेस ने राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक इंद्रनील नाईक के पैनल को पराजित किया. जिससे अब यह बात स्पष्ट हो गई है कि आगामी लोकसभा और विधान सभा चुनाव के दौरान जिले के सत्ताधारी जनप्रतिनिधियों को जनता के बीच अपनी छाप छोडने के लिए काफी माथापच्ची करनी पडेगी. वहीं विरोधियों के लिए भी यह काम आसान साबित नहीं होनेवाला है.

बीआरएस की एंट्री ने उडायी नींद

ग्रामपंचायत के चुनावों में घाटंजी तहसील की दो ग्रामपंचायत पर बीआरएस ने अपना कब्जा जमा लिया है.  बीआरएस की एंट्री से अन्य दलों के लिए अब खतरे की घंटी बज चुकी है. बीआरएस को चुनौती देना भी कांग्रेस, भाजपा, शिवसेना उबाठा, शिवसेना शिंदे सहित अन्य दलों को मुश्किल साबित हो सकता है. तेलंगणा राज्य में दबदबा निर्माण करनेवाली बीआरएस पार्टी ने यवतमाल जिले की घाटंजी तहसील की दो सीटें जीतकर धीरे धीरे अपने पांव पसारना शुरू कर दिया है.

युवाओं पर जताया भरोसा

ग्रामपंचायतों के चुनावी परिणाम सामने आने के बाद साफ पता चलता है कि ग्रामीण मतदाताओं ने इस बार युवा नेतृत्व पर भरोसा जताते हुए गांव के विकास की जिम्मेदारी सौंपी है. ज्यादातर तहसीलों में युवाओं के पैनल ने जीत हासिल की है.