जयपुर. राजस्थान (Rajasthan) के एक मंत्री ने बुधवार को गलती से ‘चंद्रयान-3’ मिशन में भाग लेने वाले “यात्रियों” को सलाम कर डाला। राजस्थान के खेल मंत्री अशोक चांदना (Ashok Chandna) ने चंद्रयान के मानव रहित लैंडर के चंद्रमा की सतह पर उतरने से कुछ घंटे पहले यह बात कही।
उन्होंने यहां एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, “अगर हम कामयाब हुए और सेफ लैंडिंग हुई …तो हमारे जो यात्री गए हैं मैं उनको सलाम करता हूं। हमारा देश, विज्ञान व अंतरिक्ष अनुसंधान में एक कदम और आगे बढ़ा, उसकी सभी देशवासियों को बधाई देता हूं।”
इसरो ने बुधवार को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस एलएम की सॉफ्ट लैंडिग कराने में सफलता हासिल की। भारतीय समयानुसार शाम करीब छह बजकर चार मिनट पर इसने चांद की सतह को छुआ। वहीं, रोवर लैंडिंग के 2 घंटे 26 मिनट के बाद लैंडर से बाहर आया।
इस सफलता के बाद भारत ने एक और उपलब्धि हासिल कर ली है। भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश भी बन गया है। चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर को अगले 14 दिन तक चांद पर रिसर्च करेंगे। चांद पर 1 दिन पृथ्वी के 14 दिनों का होता है। इसलिए लैंडर और रोवर को अपने रिसर्च के लिए चांद पर सिर्फ एक दिन का वक्त मिलेगा।
चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की सफल लैंडिंग के तुरंत बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने खुशी जताई कि हम चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल रहे हैं। भारत अब चांद पर है। लैंडिंग कार्यक्रम में पीएम मोदी भी दक्षिण अफ्रीका से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए शामिल हुए।
पीएम मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, “यह पल अविस्मरणीय है, यह क्षण अभूतपूर्व है, यह क्षण विकसित भारत के शंखनाद का है। यह क्षण नए भारत के जयघोष का है। यह क्षण मुश्किलों के महासागर को पार करने का है। यह क्षण जीत के चंद्र पथ पर चलने का है। यह क्षण 140 करोड़ धड़कनों के सार्म्थय का है। यह क्षण भारत में नई ऊर्जा, नये विश्वास, नई चेतना का है।”
पीएम मोदी ने कहा, “जब हम ऐसे ऐतिहासिक क्षण देखते हैं तो हमें बहुत गर्व होता है। ये नए भारत का सूर्योदय है। हमने धरती पर संकल्प किया और चांद पर उसे साकार किया। भारत अब चंद्रमा पर है। इससे पहले कोई भी देश वहां (चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव) तक नहीं पहुंचा है।”
उन्होंने कहा, “हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत से हम वहां तक पहुंचे हैं। भारत का सफल चंद्रमा मिशन अकेले भारत का नहीं है। यह सफलता पूरी मानवता की है। कभी कहा जाता था चंदा मामा बहुत दूर के हैं, अब एक दिन वो भी आएगा जब बच्चे कहा करेंगे चंदा मामा बस एक टूर के हैं।”
चंद्रयान-3 मिशन पर 600 करोड़ रुपये की लागत आई और 14 जुलाई को इसे प्रक्षेपण यान ‘लॉन्च व्हीकल मार्क-3′ (एलवीएम-3) रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया था। लैंडर और छह पहियों वाले रोवर (कुल वजन 1,752 किलोग्राम) को एक चंद्र दिवस की अवधि (धरती के लगभग 14 दिन के बराबर) तक काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। लैंडर में सुरक्षित रूप से चंद्र सतह पर उतरने के लिए कई सेंसर थे, जिसमें एक्सेलेरोमीटर, अल्टीमीटर, डॉपलर वेलोमीटर, इनक्लिनोमीटर, टचडाउन सेंसर और खतरे से बचने एवं स्थिति संबंधी जानकारी के लिए कैमरे लगे थे। (एजेंसी इनपुट के साथ)