वाराणसी: जैसा कि, होली का त्योहार आने वाले 25 मार्च को मनाया जाने वाला है वहीं पर इस त्योहार से पहले ही बनारस औऱ मथुरा में होली की धूम मचने लगी है। इसे लेकर ही बीते दिन गुरुवार को बाबा काशी विश्वनाथ के धाम में अलग ही नजारा देखने के लिए मिला जहां पर मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं के बीच चिता भस्म की होली ( Masan Holi 2024) खेली गई। इस दौरान लोगों में जमकर उत्साह नजर आया।
होली पर है ये मान्यता
काशी की मसान होली को लेकर मान्यता है कि, भगवान शंकर भस्म की होली अपने प्रिय गण भूत, प्रेत, पिशाच शक्तियों के साथ खेलते हैं। इसलिए इस परंपरा को बरकरार रखते हुए होली मनाई जाती है। इस चिता भस्म की होली की शुरुआत करने से पहले बाबा मसान नाथ की पूरे विधि विधान से पूजा की गई। इसके बाद आरती करने के बाद चिता की राख से होली की शुरूआत की गई है।
#WATCH | Masan Holi being celebrated at Manikarnika Ghat, in Varanasi, Uttar Pradesh.#Holi pic.twitter.com/5OQa5nPmzQ
— ANI (@ANI) March 21, 2024
रंगभरी एकादशी के बाद होता है आयोजन
इस मौके पर ढोल-नगाड़े और डमरू के साथ पूरा श्मशान घाट हर-हर महादेव के उद्घोष से गुंजायमान हो उठा। होली के मौके पर बस काशी ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक भी होली का लुत्फ उठाते है। पुरानी परंपरा के अनुरूप बाबा भोलेनाथ रंगभरी एकादशी के अगले दिन अपने गणों, भूत पिशाच और नंदी के साथ होली खेलने के लिए श्मशान पर पहुंचते हैं।
जानें क्या है होली की पौराणिक कथा
इस होली को मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा मिलती है जहां पर कहा जाता है रंगभरी एकादशी के दिन जब भोले शंकर माता पार्वती का गौना कराकर उन्हें काशी ले आए थे। तब उन्होंने सबके साथ मिलकर गुलाल से होली खेली थी, लेकिन वह भूत, प्रेत, पिशाच, जीव- जंतु आदि के साथ गुलाल वाली होली नहीं खेल पाए थे। फिर उन्होंने शमशान में रंगभरी एकादशी के ठीक एक दिन बाद अपनी इस टोली के साथ मसान की होली खेली थी, तभी से चिता भस्म होली मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई।