CM Mann and Banwarilal Purohit
File Photo: PTI

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चंडीगढ़. राजभवन और मुख्यमंत्री के बीच बढ़ी तनातनी के बीच पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने शुक्रवार को भगवंत मान को चेतावनी दी कि वह राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर सकते हैं और अगर उनके पत्रों का जवाब नहीं मिला तो वह फौजदारी प्रक्रिया भी शुरू कर सकते हैं।

मान को भेजे गए अपने ताजा पत्र में राज्यपाल पुरोहित ने संकेत दिया कि वह अपने पहले के पत्रों का जवाब नहीं मिलने से निराश हैं और मुख्यमंत्री को चेतावनी दी कि वह “संवैधानिक तंत्र की विफलता” पर राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेज सकते हैं।

पुरोहित ने मान को सलाह दी कि वह (राज्यपाल) संविधान के अनुच्छेद 356 और भारतीय दंड संहिता की धारा 124 के तहत ‘अंतिम निर्णय’ लें, इससे पहले वह (मुख्यमंत्री) उचित कदम उठाएं। सामान्य रूप से राज्यपाल द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर अनुच्छेद 356 के तहत राज्य को प्रत्यक्ष रूप से केन्द्र के शासन के तहत लाया जाता है यानी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 124 राष्ट्रपति या राज्यपाल को अपने कानूनी/संवैधानिक शक्तियों का उपयोग करने से गलत तरीके से रोकने से संबद्ध है।

राज्यपाल ने लिखा है, “इससे पहले कि मैं अनुच्छेद 356 के तहत संवैधानिक तंत्र की विफलता पर भारत की राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजने और भारतीय दंड संहिता की धारा 124 के तहत फौजदारी प्रक्रिया शुरू करने का अंतिम फैसला करूं, मैं आपसे उपरोक्त पत्र में उल्लेखित पत्रों में मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध कराने और राज्य में मादक पदार्थों की समस्या से निपटने के लिए आपके द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी मुहैया कराने को कहूंगा, ऐसा नहीं होने पर मेरे पास कानून और संविधान के अनुसार कार्रवाई करने के अलावा अन्य विकल्प नहीं होगा।”

मुख्यमंत्री को भेजी गई चिट्ठी में पुरोहित ने अपने एक अगस्त के पत्र का जिक्र किया और कहा कि मान ने मांगी गई जानकारी अभी तक उपलब्ध नहीं करायी है। उन्होंने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि आप मेरे द्वारा मांगी गई जानकारी देने से जानबूझकर इंकार कर रहे हैं।”

राज्य के 36 स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के लिए विदेश प्रशिक्षण संगोष्ठी सहित अन्य मुद्दों पर जानकारी के लिए मान को कई पत्र लिख चुके पुरोहित ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने उनका जवाब नहीं दिया है। राज्यपाल ने अपने ताजा पत्र में दावा किया कि उन्हें पंजाब में मादक पदार्थों की बड़े पैमाने पर उपलब्धता और उपयोग के संबंध में विभिन्न एजेंसियों से रिपोर्ट मिली है और उन्होंने इस संबंध में भी रिपोर्ट मांगी है।

स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) और चंडीगढ़ पुलिस द्वारा हाल में की गई कार्रवाई में का हवाला देते हुए पुराहित ने लिखा है, “यह आम जानकारी है कि वह (मादक पदार्थ) दवा की दुकानों पर उपलब्ध हैं, नया ट्रेंड देखा जा रहा है कि वह (मादक पदार्थ) शराब की सरकारी दुकानों पर भी बेचे जा रहे हैं।”

पुलिस ने मादक पदार्थ बेचने के आरोप में लुधियाना में शराब की 66 दुकानों को सील कर दिया है। पुरोहित ने लिखा है, “संसद की स्थायी समिति की एक रिपोर्ट है कि पंजाब में प्रत्येक पांच व्यक्ति में से एक व्यक्ति को मादक पदार्थ उपलब्ध है या उसे नशे की लत है। ये तथ्य दिखाते हैं कि पंजाब में कानून-व्यवस्था इस कदर ध्वस्त हो चुकी है कि अब ग्रामीण बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं और खुद को मादक पदार्थ से बचाने के लिए अपनी ग्रामीण रक्षा समितियों के गठन का फैसला कर रहे हैं। इन संबंध में आपके द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में कृपया मेरे कार्यालय को तत्काल रिपोर्ट भेजें।”

राज्यपाल ने जोर दिया कि संविधान के तहत यह सुनिश्चित करना उनका कर्तव्य है कि प्रशासन अच्छे से, प्रभावी रूप में, निष्पक्ष और ईमानदारी से काम करे और सरकार द्वारा लाए गए प्रस्ताव कानून के विपरीत नहीं हों। पुरोहित ने लिखा है, “इसलिए मैं आपको सलाह देता हूं, चेतावनी देता हूं और आपको मेरे पत्रों का उत्तर देने तथा मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने को कहता हूं।”

पुरोहित ने इंगित किया कि राज्यपाल द्वारा मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराने को सामान्य रूप से संवैधानिक कर्तव्य नहीं निभाना माना जाएगा, जैसा कि संविधाान के अनुच्छेद 167(बी) में मुख्यमंत्री से अपेक्षा की गई है। संविधान का अनुच्छेद 167(बी) राज्यपाल राज्य के प्रशासनिक कार्यों से जुड़ी सूचनाएं और विधयेकों के प्रस्ताव को मांग सकते हैं।

उन्होंने कहा, “यह व्यवहार दिखाता है कि आपने ना सिर्फ भारत के संविधान के अनुच्छेद की अनुज्ञा की है बल्कि इस तरह का व्यवहार किया है जिसे माननीय उच्चतम न्यायालय की अवमानना भी माना जा सकता है।” राज्यपाल ने मुख्यमंत्री द्वारा जून में पंजाब विधानसभा में उनके खिलाफ बोले गए “अपमानजनक शब्दों” का भी जिक्र किया। (एजेंसी)