Antibody test done to all members of West Bengal CPI-M
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    तिरुवनंतपुरम: केरल में सत्ताधारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने रविवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि यह राज्यपाल का इस्तेमाल करके राज्य में कल्याणकारी योजनाओं पर अमल को बाधित करने और उच्च शिक्षा को तबाह करने की कोशिश कर रही है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हर चीज को अपने नियंत्रण में रखना चाहती है।

    माकपा सचिव एमवी गोविंदन ने आरोप लगाया कि न्यूनतम रोजगार गारंटी जैसी कल्याणकारी योजनाओं पर अमल को बाधित करने की केंद्र सरकार की मंशा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के एक दिन पहले दिये गये भाषण से उजागर हो गई है। 

    सीतारमण ने पी परमेश्वरीजी मेमोरियल व्याख्यान में अपनी बात रखी थी जिसका विषय था ‘सहकारी संघवाद: आत्मनिर्भर भारत की ओर जाने वाली राह’। वित्त मंत्री ने कहा था कि कुछ राज्यों द्वारा गैर जरूरी वस्तुओं और खर्च के लिए अंधाधुंध उधार लेना चिंता का विषय है।  गोविंदन ने कहा कि केंद्र सरकार हर चीज पर नियंत्रण चाहती है।

    गोविंदन ने यहां माकपा की बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में कहा, ‘‘एलडीएफ और माकपा केंद्र सरकार के इस रुख को बर्दाश्त नहीं कर सकती।” उन्होंने कहा कि केंद्र गैर भाजपा शासित राजयों में राज्यपालों का इस्तेमाल उच्च शिक्षा में हस्तक्षेप करने और विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और संघ परिवार का एजेंडा लागू करने के लिए कर रही है और यह केरल में भी हो रहा है।  राज्य में विश्वविद्यालयों की कार्य प्रणाली को लेकर राज्य सरकार और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद के बीच विवाद चल रहा है। 

    गोविंदन ने कहा, ‘‘केरल में भाजपा ऐसे समय में राज्यपाल का इस्तेमाल उच्च शिक्षा को बर्बाद करने के लिए कर रही है, जब राज्य सरकार इसमें सुधार करके इसे वैश्विक स्तर का बनाने के लिए कदम उठा रही है। राज्य सरकार ने राज्यपाल को कुलाधिपति का पद दिया है, लेकिन अब चीजें ऐसे मुकाम पर पहुंच गई हैं कि जहां हम इस बात विचार कर सकते हैं कि उन्हें इस पद पर बरकरार रखना चाहिए या नहीं।” 

    उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने रुख अपनाया है कि वह किसी भी हद तक जाएंगे, तो हमने भी उनका किसी भी हद तक विरोध करने का फैसला किया है जो कानून और संविधान के अनुरूप होगा। क्या सरकार राज्यपाल को कुलाधिपति के पद से हटाने के लिए कोई अध्यादेश लाएगी? इस सवाल के जवाब में माकपा के राज्य सचिव ने दोहराया कि, ‘‘हम जो भी जरूरी होगा वह करेंगे और कानून तथा संविधान के अनुरूप किसी भी हद तक जाएंगे।”

    विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक समेत कुछ विधेयकों को खान की ओर से लटकाये जाने के संबंध में गोविंदन ने कहा कि राज्यपाल कुछ ऐसा कर रहे हैं जिसकी कानून के तहत अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि कई अदालतों ने फैसला दिया है कि राज्यपाल अनिश्चित काल के लिए विधेयकों को अपने पास नहीं रख सकते। (एजेंसी)