
इंफाल/ नई दिल्ली: मणिपुर में पिछले दो महीनों से हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में राज्य की बिरेन सिंह सरकार ने इंटरनेट सुविधाओं को बंद कर दिया है। अब इस मामले को लेकर कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने नाम नहीं लेते हुए बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। थरूर ने कहा कि ये अजीब है कि भारत “दुनिया का एकमात्र लोकतंत्र” है जो नियमित रूप से लंबे समय तक इंटरनेट शटडाउन का सहारा लेता है, जिससे आम नागरिकों को असुविधा होती है।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का यह बयान ऐसे समय सामने आया है, जब पूर्वोत्तर राज्य में होने वाली हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (17 जुलाई) को सुनवाई होने वाली है। कांग्रेस नेता का ये बयान ऐसे समय पर आया है जब मणिपुर हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (17 जुलाई) को सुनवाई होनी है। इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष रह चुके शशि थरूर ने कहा कि 2022 में समिति ने पाया कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि इंटरनेट बंद करने से वास्तव में हिंसा को रोका जा सकता है।
The Supreme Court will hear on Monday the government’s appeal against a Manipur High Court order, relaxing the draconian ban on the internet that has crippled digital life in the state for the last three months. The Parliamentary Standing Committee on Information Technology had…
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) July 16, 2023
शशि थरूर ने अपने ट्वीट में कहा, “सुप्रीम कोर्ट सोमवार को मणिपुर हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सरकार की अपील पर सुनवाई करेगा जिसमें पिछले तीन महीनों से राज्य में डिजिटल लाइफ को बाधित करने वाले इंटरनेट पर प्रतिबंध में ढील दी गई। सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति ने 2022 में तीखी टिप्पणी की थी कि सरकार की ओर से ऐसा कोई औचित्य नहीं दिया गया है, जो किसी भी तरह से प्रदर्शित करता हो कि इंटरनेट शटडाउन वास्तव में बाधा डालता है, कहीं भी हिंसा या आतंकवाद को रोकना तो दूर की बात है।”
उन्होंने यह भी कहा, “मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट उन बाबुओं के बजाय नागरिकों के अधिकारों के लिए खड़ा होगा जो बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड लेनदेन, नामांकन, परीक्षाओं और सभी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करने के लिए इंटरनेट का उपयोग करने वाले नागरिकों पर अपने फैसलों के प्रभाव के प्रति पूरी तरह से उदासीन हैं। कोर्ट को अब इस भयानक प्रथा को खत्म करना चाहिए।”
हिंसा में अब तक 160 लोगों की गई जान
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। तब से अब तक कम से कम 160 लोगों की जान जा चुकी है। वही, मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से 7 जुलाई को इंटरनेट पर प्रतिबंध हटाने को कहा था, लेकिन बिरेन सिंह सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। अब इस पर सुनवाई होनी है।