Kerala court dismisses plea to remove photo from PM Modi's vaccination certificate, fined petitioner
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    कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि शराब के ठेकों के बाहर खड़े लोग ‘समानतावादी’ हैं और कोई भी व्यक्ति किसी तरह की सब्सिडी या आरक्षण की मांग नहीं कर रहा है। साथ ही, ग्राहकों को धैर्यपूर्वक तथा शांतिपूर्ण तरीके से इस तरह की दुकानों के बाहर कतारबद्ध खड़े देखा जा सकता है।

    न्यायमूर्ति दीवान रामचंद्रन ने कहा, ‘‘शराब ठेकों के बाहर कोई गरीबी नहीं है। कोई भी व्यक्ति सब्सिडी या आरक्षण नहीं चाहता। यह बहुत ही समानतावादी है। हर कोई शांतिपूर्वक और धैर्यपूर्वक कतार में खड़ा है। ” अदालत ने कहा कि इन ठेकों के बाहर भीड़ घटाने का एकमात्र विकल्प ‘वाक इन शॉप’ (कुछ कदम की दूरी पर दुकानें खोलना) है।

    अदालत ने कहा, ‘‘जब तक आपके पास अन्य वस्तुओं की तरह उपयुक्त दुकानें नहीं होंगी, चीजें बेहतर नहीं होगी। इसे किसी अन्य दुकान जैसा बनाएं।” अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय के नजदीक शराब का एक ठेका है, जहां लोग अब भी फुटपाथ पर कतार में खड़े दिखते हैं, जबकि अदालत ने इसे रोकने के लिए कई निर्देश जारी किये हैं।

    अदालत ने कहा कि शराब के ठेकों के बाहर लंबी कतार रहने के कारण ही लोग इस तरह की दुकान अपने घरों या कामकाज स्थल के नजदीक नहीं चाहते हैं। न्यायमूर्ति रामचंद्रन ने आबकारी विभाग को विषय पर नौ नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

    अदालत एक अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमे दावा किया गया है कि उसके 2017 के फैसले का अनुपालन नहीं हो रहा है। इस फैसले में अदालत ने राज्य सरकार और बेवको को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि बेवको की दुकानों की वजह से त्रिशूर के एक इलाके में कारोबार और निवासियों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं हो।(एजेंसी)