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    -ओम प्रकाश मिश्र 

    रांची: हमेशा से परंपरागत तरीके से खेती करने वाली रांची (Ranchi) के ओरमांझी (Ormanjhi) की रहनेवाली महिला किसान (Women Farmer) सुनीता देवी ने नहीं सोचा था कि सिंचाई (Irrigation) के तरीके में बदलाव लाने से उत्पादन में बहुत फ़र्क आएगा और पानी की भी समस्या (Water Problem)नहीं रहेगी। सुनीता ने सिंचाई की कठिनाई को टपक सिंचाई से दूर करते हुए दूसरे किसानों के लिए एक मिसाल पेश की है। आज सुनीता ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झारखंड स्टेट लाईवली हुड प्रमोशन सोसाईटी के तहत झारखंड बागवानी सघनीकरण टपक सिंचाई परियोजना से जुड़कर टपक सिंचाई से खेती शुरू कर अच्छी आमदनी कर रही हैं। 

    सुनीता कहती हैं कि टपक सिंचाई योजना से उनकी जिंदगी में काफी बदलाव आ गया। हमारे पास सिंचाई के लिए सिर्फ कुआँ था, जो अक्सर सूख जाता था। जिस कारण हम सिंचाई के लिए पूरी तरह बारिश पर ही आश्रित थे, लेकिन अब ड्रिप के लग जाने के बाद खेती करना काफी आसान हो गया है। आज एक साथ कई तरह की फसल की खेती कर सालाना 1.5 लाख तक की आमदनी कर लेती हूं। 

    कम मेहनत, कम लागत और कम पानी में दोगुना हो रहा मुनाफा 

    सुनीता की ही तरह झारखंड बागवानी सघनीकरण टपक सिंचाई परियोजना ने राज्य की हजारों महिला किसानों के जीवन में बदलाव की नई कहानी लिखी है। पश्चिमी सिंहभूम के तांतनगर प्रखंड के चिरची गांव निवासी संकरी परंपरागत तरीके से खेती कर सालाना 20-25 हज़ार रुपए अर्जित करती थी, अब वह टपक सिंचाई परियोजना से जुड़कर सालाना 80-90 हज़ार रुपए का मुनाफा कमा रही हैं । 

    कृषि कार्यों से उद्यमी बनते कृषक 

    राज्य के 9 जिलों के 30 प्रखंड में इस परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। अब तक पूरे राज्य में करीब 11800 किसान सूक्ष्म टपक सिंचाई और अन्य सुविधाओं को लेकर अच्छे उत्पादन से ज्यादा कमाई कर उद्यमिता के पथ पर हैं। अब तक इस परियोजना से जुड़ने के लिए करीब 23 हजार किसानों का पंजीकरण किया जा चुका है। राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में किसानों को सुविधाओं से लैस करना है, ताकि झारखंड के कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी उन्हें सिंचाई समेत किसी प्रकार की दिक्कत ना हो। इसी कड़ी में राज्य के किसानों को टपक सिंचाई के जरिए कम पानी में बेहतर फसल उपजाने के लिए प्रशिक्षण और सुविधा मुहैया कराई जा रही है। जिसका उद्देश्य राज्य के कृषकों को स्थायी और पर्यावरण अनुकूल कृषि के जरिए सब्जी उत्पादन में बढ़ोतरी दर्ज करवाना है। सरकार अपने उद्देश्य में सफल भी हो रही है, जिससे हजारों कृषक जो पहले साल में एक फसल पर निर्भर रहते थे, अब साल में तीन-चार फसल उपजाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं।