पाकिस्तानी ब्रांड के नाम पर भिंडी बाजार भ्रष्टाचार, धड़ल्ले से बिक रहे हैं सूरत ड्रेस मटेरियल

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सैय्यद जाहिद अली@नवभारत 
मुंबई: ईद उल फित्र के लिये मुस्लिम समुदाय के लोग खरीदारी पर जोर देते हैं, हर कोई चाहता है कम से कम ईद में घर परिवार के लिये ने लिबास खरीद लें। इसलिये उनकी पहली पसंद होती है दक्षिण मुंबई का भिंडी बाज़ार और फिर पाकिस्तानी ड्रेस मटेरियल मिल जाए तो खुशी दुगनी हो जाती है, लेकिन उन्हे नहीं पता जो कपड़े वो पाकिस्तानी समझ कर खरीद रहे हैं वो सूरत से आए कपड़े हैं। 
 
ईद उल फित्र के मौके पर पाकिस्तानी कपड़ों को प्राथमिकता देने का तर्क ये होता है कि वो कपड़े मुस्लिम महिलाओं के लिये इस्लाम के दायरे मे बने होते हैं और हलाल होते हैं। मुंबई के कई इलाके ऐसे हैं जो पाकिस्तानी कपड़ों की विक्री के लिये जाने जाते हैं, यहां लोग सपरिवार खरीदारी करने आते हैं। इनमे जोगेश्वरी का कपड़ा मार्केट, कुर्ला का एल बी एस मार्ग, शीतल थियेटर के सामने का फैशन गल्ली और दक्षिण मुंबई का भिंडी बाज़ार का नाखुदा मोहल्ला जाना जाता है। वैसे भिंडी बाज़ार में रमजान के महीने मे खरीदारी के लिये लोग तराबी की नमाज के बाद निकलते हैं, यहां पूरी रात खरीदारी होती है। 
 
 
नाखुदा मोहल्ला में पाकिस्तानी ड्रेस मटेरियल के नाम पर सूरत से आए हुए कपड़े बिकते हुए देखे जा सकते हैं। नाखुदा मोहल्ला मार्केट, मुसाफिर खाना, मनीष मार्केट और पायधुनी में महिलाओं के ड्रेस मटेरियल कराची से आए हुए बता कर 999 रुपये से लेकर 25 हजार रुपये तक में बिक रहे हैं। बेल्वेट से लेकर एम्ब्रायडरी किए हुए, ट्रेडिशनल ड्रेस और कास्मेटिक तक पाकिस्तान से आए हुए बता कर बेचे जा रहे हैं। 
 
असली नकली की पहचान नहीं हो सकती
पाकिस्तान से सीधे तौर पर किसी भी चीज को आयात नहीं किया जाता, स्थानीय ड्रेस मटेरियल विक्रेता बताते हैं कि ड्रेस मटेरियल दुबई से दिल्ली होते हुए आता है, जबकि ये सब कपड़े सूरत से मुंबई और देश के अलग अलग कोनों मे जा रहे हैं, असली के नाम पर पाकिस्तानी बनावट के कपड़े धडल्ले से बिक रहे हैं। ईद की खरीदारी मे भी भ्रष्टाचार हो रहा है। 
 
गफ्फार मेमन (अल गफ्फार के होलसेल विक्रेता) बताते हैं, यहां पर कई दुकानें होलसेल की हैं, जहां से फुटकर व्यापारी कपड़े ले जाकर पाकिस्तानी बता कर बेचते हैं, यहां अब पाकिस्तानी चीजे नहीं बिकती छोटे दुकान वाले सूरत के कपड़ों को पाकिस्तानी बताकर बेचते हैं।