Carpet industry sent proposal to organize digital fair to central government
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    – राजेश मिश्र

    लखनऊ : कोरोना संकट (Corona Crisis) के दौरान भी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के भदोही (Bhadohi) से कालीनों (Carpets) का निर्यात (Export) बढ़ा है। विदेशों में भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी के कालीनों की विदेशों में बढ़ी मांग को देखते हुए इस साल अक्टूबर में प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले का आयोजन किया जाएगा। 

    महामारी के दौरान जहां सिल्क, चिकन सहित कई अन्य उत्पादों के निर्यात पर असर पड़ा वहीं कालीन कारोबार मंदी का शिकार नहीं हुआ बल्कि कालीन की मांग लगातार बनी रही है। 

    95% कालीन का निर्यात भदोही और उसके आसपास के जिलों से हुआ

    भदोही के कालीन कारोबारियों के मुताबिक  करोना संकट के दौरान भी विदेशों से कालीन के आर्डर आते रहे, जिन्हें पूरा किया गया। यही वजह रही कि वर्ष 2020-21 में राज्य से 4108.37 करोड़ रुपए का निर्यात कालीन उद्योग कर सका। जबकि वर्ष 2019-20 में 3704.05 करोड़ रुपए का ही निर्यात राज्य का कालीन उद्योग कर सका था। वही अप्रैल 2021 से अक्टूबर 2021 तक 3054.97 करोड़  रुपए का कालीन राज्य से निर्यात हुआ, जिसका 95 फीसदी कालीन का निर्यात भदोही और उसके आसपास के जिलों से हुआ।

    दो वर्षों से इस मेले का आयोजन नहीं किया जा रहा था

    हाल ही में प्रदेश की योगी सरकार ने भदोही मे कारपेट एक्सपो मार्ट खोला है। वाराणसी आने वाले विदेशी पर्यटक इस कारपेट मार्ट में कालीन खरीदने में रूचि दिखा रहें है। जिसके चलते भदोही और वाराणसी में बने कालीनों की विदेशों में मांग बढ़ रही है। कोरोना संकट के दौरान भी भदोही के कालीन की बढ़ती मांग को देखते हुए अब आगामी अक्टूबर में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कालीन मेले का आयोजन करने का निर्णय कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) ने लिया है। दो वर्षों से इस मेले का आयोजन नहीं किया जा रहा था।

    कारपेट मार्ट के खुलने से पर्शियन कारपेट की विक्री में इजाफा हुआ 

    प्रदेश सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक भदोही में बना यह कारपेट मार्ट देश का सबसे बड़ा कारपेट मार्ट है। अब भदोही में एक ही छत के नीचे लोगों को विश्व की सबसे महंगी पर्शियन कारपेट से लेकर हस्तनिर्मित रंग-बिरंगी कालीन आसानी से मिल रही है। इस कारपेट मार्ट के खुलने से पर्शियन कारपेट की विक्री में इजाफा हुआ है। 

    पर्शियन कारपेट पूरी दुनिया में सबसे महंगी बिकती है

    पर्शियन कारपेट पूरी दुनिया में सबसे महंगी बिकती है। इसकी कीमत 50 डॉलर से शुरू होकर 500 डॉलर स्क्वेयर फीट तक है। विदेश में बिकने वाली कुल कारपेट में पपर्शियन कारपेट का हिस्सा करीब दस फीसदी। पर्शियन कारपेट को 250 साल पहले ईरान से आए लोगों ने भदोही में बनाना शुरू किया था। पर्शियन कालीन के एक स्क्वेयर इंच में करीब 182 बारीक गांठें आती हैं। जितनी बारीक गांठ होती है, उतनी ही ज्यादा कीमत होती है। इन कालीनों में प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल होता है। यह रंग पेड़-पौधों के पत्ते, उनकी छाले, चाय पत्ती से बनाए जाते हैं। इस कारपेट का अमेरिका, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, कनाडा और ब्रिटेन आदि देशों में खूब निर्यात हो रहा है।

    लगभग 10 लाख परिवारों की जिंदगी जुड़ी हुई है

    गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी, भदोही और मिर्जापुर जिले की अर्थव्यवस्था में कालीन उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। करीब  डेढ़ हजार से अधिक रजिस्टर्ड कम्पनियां इन तीन जिलों में कालीन बनाने और एक्सपोर्ट करने के काम में लगी हुई हैं। इससे अकेले भदोही और वाराणसी क्षेत्र के दो लाख से ज्यादा कारीगरों और उनके लगभग 10 लाख परिवारों की जिंदगी जुड़ी हुई है।

    भदोही को तो उत्तर प्रदेश की कालीन नगरी के रूप में देश तथा विदेश में जाना जाता है। भदोही की पर्शियन कारपेट पाकिस्तान, ईरान और तुर्की में बनी कारपेट से अधिक पसंद की जाती है। यहां का बना कालीन देश में मुंबई, दिल्ली, गुजरात, गोवा, तमिलनाडू, राजस्थान समेत देश के कई शहरों और अमेरिका, यूरोप, जर्मनी, जापान सहित कई अन्य देशों में जाता है। सबसे ज्यादा निर्यात यूएसए में किया जाता है।