Covid Strict Restrictions
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    – राजेश मिश्र

    लखनऊ : कोविड प्रतिबंधों (Covid Restrictions) ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में हो रहे विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) की रौनक खत्म कर दी है। चुनावों के दौरान होने वाले पोस्टर, बैनर, चुनाव सामाग्रियों (Posters, Banners, Election Materials) से लेकर टैक्सी, टेंट जैसे कई धंधों पर इस बार के चुनाव में कोरोना का असर पड़ा है। प्रचार में भीड़ लेकर न चलने का प्रतिबंध, रैलियों, सभाओं पर रोक जैसे कई प्रावधानों के चलते कारोबार (Business) पर खासा असर पड़ा है। चुनावों के दौरान प्रचार सामाग्री बेंचने वाली दुकानों पर भी सन्नाटा नजर  रहा है तो प्रिटिंग प्रेसों में दिखने वाली भीड़ और आर्डर नदारद हैं।

    उत्तर प्रदेश की राजधानी में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी के कार्यालयों के बाहर प्रचार सामाग्री बेंचने वाली दुकानें जरुर सजी हैं पर धंधा बहुत कम हो रहा है। भाजपा और सपा कार्यालय के बाहर दुकानों पर कुछ चहल पहल जरुर है पर आर्डर पहले के मुकाबले कम दिए जा रहे हैं। राजधानी में ज्यादातर पार्टी दफ्तरों के बाहर दुकान सजाने वाला केके प्रिटंर्स के रामजी लाल का कहना है कि इस बार पहले के मुकाबले धंधा आधा भी नहीं रह गया है। उनका कहना है कि प्रचार पर कोरोना के प्रतिबंध हावी हैं और चुनाव आयोग की सख्ती भी ज्यादा है। पिछले चुनावों में जहां पार्टीवार 50-60 करोड़ रुपये से ज्यादा का आर्डर मिल जाते थे वहीं इस बार एक तिहाई कारोबार भी न हो पाने की उम्मीद है। हालांकि इस बार के चुनावों के लिए दिल्ली से कैप, बिंदी, टी-शर्ट जैसे फैंसी आइटम बन कर आए हैं पर बिक्री बहुत कम हो पा रही है।

    प्रदेश में पहले और दूसरे चरण का चुनाव उफान पर है पर अभी तक कोरोना प्रतिबंध लागू 

    राजधानी के प्रमुख प्रिटिंग कारोबारी आलोक प्रिंटर्स के आलोक सक्सेना बताते हैं कि कोरोना प्रतिबंधों में ढील की आस लगाते कागज आदि का एडवांस आर्डर किया था पर चुनाव आयोग ने अब तक तो कोई सहूलियत नहीं दी है। उनका कहना है कि फ्लेक्स बैनर, होर्डिग और पोस्टर भी आयोग की सख्ती की वजह से कम ही बन रहे हैं। वैसे तो बीते कई चुनावों से आयोग की सख्ती के चलते लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पोस्टर, कार्ड और हैंडबिल का चलन घटा है पर इस बार और भी कम हो गया है। सक्सेना कहते हैं कि प्रदेश में पहले और दूसरे चरण का चुनाव उफान पर है पर अभी तक कोरोना प्रतिबंध लागू हैं। उनका कहना है कि अगर फरवरी के पहले हफ्ते में प्रतिबंधों में कुछ ढील भी दी जाती तो भी बाजार के उठने के उम्मीद कम ही है।

    इस बार शो रुमों से नई गाड़िया धड़ल्ले से बिकी हैं

    लखनऊ में ट्रैवल्स का काम करने वाले धर्मेंद्र सिंह बताते हैं कि गाड़ियों का काफिला लेकर चलने पर रोक है और रैलियां या बड़ी सभाएं नहीं की जा सकती हैं। इन सबके चलते टैक्सी की मांग न के बराबर है। उनका कहना है कि प्रत्याशी निजी गाड़ियों से ही काम चला ले रहे हैं तो टैक्सी की मांग कहां से होगी। हां उनका कहना है कि इस बार शो रुमों से नई गाड़िया धड़ल्ले से बिकी हैं और सबसे ज्यादा मांग में एसयूवी रही हैं। प्रदेश के ज्यादातर बड़े शहरों में गाड़ियों के शोरुमों में बुकिंग महीनों पहले से होने लगी थी और अब तो कहीं भी मांग पर गाड़ी उपलब्ध नहीं है।

    कोरोना प्रतिबंधों के बावजूद गमछे की बिक्री पर असर नहीं है

    इस बार के चुनावों में भाजपा के केसरिया, सपा के लाल-हरे और कांग्रेस के तिरंगे गमछे की मांग में जोरदार इजाफा देखा गया है। प्रचार सामाग्री बेंचने वाले संजीव मिश्रा कहते हैं कि गमछे की मांग चुनाव के छह महीने पहले से ही शुरु हो गयी थी जिसमें अभी तक गिरावट नहीं है। प्रदेश में पावरलूम का गढ़ कहे जाने वाले टांडा के साथ मेरठ, मउरानीपुर जैसे शहरों के साथ ही बड़ी तादाद में गुजरात से भी गमछे की सप्लाई हो रही है। कार्यकर्त्ताओं के इस्तेमाल के साथ ही बांटने के लिए भी गमछे की अच्छी खरीद हो रही है। मिश्रा कहते हैं कि कोरोना प्रतिबंधों के बावजूद गमछे की बिक्री पर असर नहीं है।

    कोरोना प्रतिबंधों के चलते डिजिटल प्रचार का जोर

    उत्तर प्रदेश में कोरोना प्रतिबंधों के चलते डिजिटल प्रचार का जोर है। छोटे बड़े हर शहर में डिजिटल प्रचार सामाग्री तैयार करने का काम होने लगा है। अब तक प्रदेश में लगभग आधे से ज्यादा घोषित प्रत्याशी शार्ट वीडियो और व्यासअप पर फारवर्ड करने लायक पोस्टरों की सबसे ज्यादा मांग कर रहे हैं। प्रचार का मैटर तैयार करने वाले आशीष अवस्थी बताते हैं कि प्रमुख राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों ने तो बाकायदा अपने यहां विशेषज्ञों को काम पर रख लिया है और हर दिन नए मैटर तैयार कर जारी कर रहे हैं।