पीएम मोदी
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वाराणसी: संत रविदास कहते हैं, ‘जात पात के फेर मंहि, उरझि रहइ सब लोग। मानुषता कूं खात हइ, रैदास जात कर रोग।’ यानी ज्यादातर लोग जातपात के फेर में उलझे और उलझाते रहते हैं। यह रोग मानवता का नुकसान करता है। संतों की वाणी हमें रास्ता भी दिखाती है और सावधान भी करती है। देश को जाति के नाम पर उकसाने और लड़ाने में भरोसा रखने वाले इंडी गठबंधन के लोग दलितों वंचितों के लिए हर योजना का विरोध करते हैं और जाति के नाम पर अपने परिवार के स्वार्थ के लिए राजनीति करते हैं। ये बातें शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीर गोवर्धनपुर स्थित श्री गुरु रविदास जन्मस्थली मंदिर में दर्शन-पूजन के उपरांत गुरु के 647वें प्रकाशपर्व समारोह को संबोधित करते हुए कही। 

उन्होंने कहा कि परिवारवादी पार्टी अपने परिवार के बाहर किसी दलित और आदिवासी को आगे नहीं बढ़ने देना चाहते। देश में पहली आदीवासी महिला को राष्ट्रपति बनने का किन किन लोगों ने विरोध किया था, ये हर कोई जानता है। ये सब वही परिवारवादी पार्टियां हैं, जिन्हें चुनाव के वक्त दलित की याद आने लगती है। हमें इनसे सावधान रहना होगा। हमारी सरकार की नीयत गरीबों, वंचितों, पिछड़ा और दलितों के लिए साफ है।  

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरु रविदास जी की जन्म जयंती के पावन अवसर पर देशभर से आए रैदासियों का काशी में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि बनारस आज मिनी पंजाब जैसा लग रहा है। आपकी तरह मुझे भी रविदास जी बार बार अपने जन्मभूमि पर बुलाते हैं। यहां आकर उनके संकल्पों को आगे बढ़ाने का और उनके लाखों अनुयायियों की सेवा का अवसर मिलता है। ये मेरे लिए सौभाग्य की बात है। काशी का सांसद और जनप्रतिनिधि होने के नाते भी मेरी विशेष जिम्मेदारी बनती है कि बनारस में आपका स्वागत करूं और आपकी सुविधाओं का खास ख्याल रखूं। 

राजनीति में नहीं था तब भी रविदास जी की शिक्षाओं से मार्गदर्शन मिलता था

प्रधानमंत्री ने बताया कि संत रविदास जी की जन्मस्थली के विकास के लिए कई करोड़ की योजनाओं का आज शुभारंभ हो रहा है। मंदिर तक आने-जाने वाली सड़कों, इंटरलॉकिंग ड्रेनेज सिस्टम, संत्संग भवन और प्रसाद ग्रहण करने के लिए अलग अलग सुविधाओं का विकास किया जाएगा। इससे श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक सुख तो मिलेगा ही कई अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर संत रविदास की नई प्रतिमा का लोकार्पण किया और म्यूजिम की आधारशिला रखी। उन्होंने इस अवसर पर गाडगे महाराज की जयंती पर भी अपनी ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित किए। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब मैं राजनीति में नहीं था तब भी श्री गुरु रविदास जी की शिक्षाओं से मार्गदर्शन प्राप्त करता था। मेरे मन में भावना थी कि उनकी सेवा का अवसर मिले। आज काशी ही नहीं पूरे देश में उनकी शिक्षाओं का प्रसार किया जा रहा है। हाल ही में मध्य प्रदेश के सतना में संत रविदास स्मारक कला केंद्र के शिलान्यास का सौभाग्य मिला। 

सब रविदास जी के हैं और रविदास जी सबके हैं

पीएम मोदी ने कहा कि भारत का इतिहास रहा है जब भी देश को जरूरत रही है कोई ना कोई संत जन्म लेते हैं। रविदास जी उस भक्ति आंदोलन के महान संत थे जिसने कमजोर और विभाजित हो चुके भाारत को नई ऊर्जा दी थी। समाज को आजादी का महत्व बताया था और सामाजिक विभाजन को पाटने का काम किया था। उन्होंने ऊंच नीच, भेदभाव के खिलाफ उस दौर में आवाज उठायी थी। सब रविदास जी के हैं और रविदास जी सबके हैं। जगद्गुरू रामानंद के शिष्य के रूप में उन्हें वैष्णव समाज अपना गुरु मानता है। सिख भी उन्हें बहुत आदर के साथ देखते हैं। काशी में उन्होंने मन चंगा तो कठौती में गंगा की सीख दी थी। हमारी सरकार रविवाद जी के आदर्शों को आगे बढ़ा रही है। हमारी योजनाएं सबकी हैं। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास का हमारा मंत्र आज देश के 140 करोड़ लोगों से जुड़ने का मंत्र बन गया है। 

आज सारी योजनाएं गरीब और वंचितों के लिए बनाई जा रही हैं

जो लोग विकास की मुख्य धारा से जितना दूर रह गये, पिछले 10 साल में उन्हें ही केंद्र में रखकर कार्य हुआ है। पहले जिस गरीब को सबसे आखिरी और सबसे छोटा कहा जाता आज सारी योजनाएं उन्हीं के लिए बनाई जा रही हैं। कोरोना की इतनी बड़ी मुश्किल में हमने 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन की व्यवस्था की। हमने स्वच्छ भारत योजना अभियान चलाया, हर परिवार को शौचालय का लाभ दिया। खासकर दलित माताओं और बहनों को इसका लाभ हुआ है, क्योंकि इन्हें ही खुले में शौच के लिए जाना होता था। साफ पानी के लिए जल जीवन मिशन चल रहा है। 11 करोड़ से ज्यादा घरों तक पाइप से पानी पहुंचाया गया। आयुष्मान कार्ड बनाए गये हैं। जनधन खाते खुलवाए गये हैं। 

इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व विधान परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह चौधरी, अखिल भारतीय रविदास धर्म संगठन के उपाध्यक्ष नवदीप दास, पूर्व सांसद विजय सांपला, एसएस ढिल्लो, सतपाल, प्रदीप दास आदि उपस्थित रहे।