ट्रांसफर को लेकर यूपी में रार, राज्यमंत्री का कथित इस्तीफा, चहेते अफसर को लेकर जितिन प्रसाद नाराज

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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोनाकाल के दो सालों के बाद हुए बड़े पैमाने पर अधिकारियों के तबादलों के बाद रार मच गयी है। तबादलों में धांधली, अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन विभागों की जांच के लिए उच्च अधिकारियों की कमेटी बना दी तो पीडब्लूडी मंत्री जितिन प्रसाद (PWD Minister Jitin Prasad) के चहेते अफसर को हटाकर विजिलेंस की जांच बैठा दी है। केंद्र से खास तौर पर सिफारिश पर लेकर अपने साथ आए अफसर को हटाए जाने से पीडब्लूडी मंत्री जितिन नाराज बताए जा रहे हैं। 

    वहीं, जलशक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक (Minister Dinesh Khatik) ने तबादलों में अपनी सुनी न जाने से नाराज होकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को कथित तौर पर अपना इस्तीफा भेज दिया है। हालांकि पूंछे जाने पर खटिक ने अपनी नाराजगी की वजह नहीं बतायी पर उनके दिल्ली जाकर बीजेपी के शीर्ष नेताओं से मिलने की खबर है। जितिन प्रसाद भी दिल्ली में पार्टी के बड़े नेताओं से मिल रहे हैं।

    इस्तीफे की चिट्ठी वायरल 

    इस बीच, योगी आदित्‍यनाथ सरकार के जल शक्ति राज्‍य मंत्री दिनेश खटीक की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखी इस्तीफे की चिट्ठी वायरल हो रही है। इस चिट्ठी में तबादलों और नमामि गंगे योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्‍टाचार का आरोप लगाया गया है। कथित इस्‍तीफे की इस चिट्ठी में दिनेश खटीक ने लिखा है कि इस विभाग में स्थानांतरण सत्र में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है। नामामि गंगे योजना के अंदर भी बहुत बड़ा भ्रष्टाचार फैला हुआ है, जो ग्राउंड पर जाने पर पता चलता है। उन्होंने लिखा है कि जब मैं कोई शिकायत किसी भी अधिकारी के विरूद्ध करता हूं तो उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। चाहें तो इसकी किसी भी एजेंसी से जांच कराई जा सकती है।

    चिट्ठी में दिनेश खटीक ने बयां किया दर्द

    इस चिट्ठी में दिनेश खटीक ने खुद के दलित होने के चलते अधिकारियों द्वारा उपेक्षा किए जाने का मुद्दा उठाया है। उन्‍होंने लिखा है कि जलशक्ति विभाग में दलित समाज का राज्य मंत्री होने के कारण उनके किसी भी आदेश पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है और न ही उन्‍हें सूचना दी जाती है कि विभाग में कौन-कौन सी योजनाएं चल रही हैं और उन पर क्या कार्रवाई हो रही है। उन्‍होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार के अफसर दलितों को अपमान कर रहे हैं।

    लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में मची हलचल 

    दिनेश खटीक के कथित इस्‍तीफे की चर्चा को लेकर लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है। हालांकि न तो दिनेश खटीक न ही सरकार की ओर से किसी ने अभी तक इस इस्‍तीफे की पुष्टि की है। मेरठ के गंगानगर स्थित आवास पर मीडिया के सामने आए दिनेश खटीक ने सिर्फ इतना कहा कि कोई विषय नहीं है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री ने दलितों और पिछड़ों को सम्मान के साथ बीजेपी में लाने का प्रयास किया है और उन्ही के आदर्शों के कारण दलित समाज और पिछड़ा समाज आज पूरी तरह से बीजेपी के साथ खड़ा है, लेकिन उत्तर प्रदेश में सरकार के अन्दर अधिकारीगण उतना ही दलितों का अपमान कर रहे है।

    वित्त विभाग में बड़ी अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायतें वायरल हुई थी

    बताते चलें कि पिछले वर्ष भी तबादले को लेकर सरकार के कद्दावर मंत्री सुरेश खन्ना के अधीन आने वाले वित्त विभाग में बड़ी अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायतें वायरल हुई थी। जिसके बाद निदेशक, आंतरिक लेखा परीक्षा को निलंबित कर आनन-फानन में जांच गठित कर दी गई, लेकिन उस समय की गई प्रारंभिक जांच के बाद फिर विस्तृत जांच के आदेश दे दिए गए। एक वर्ष बीतने के बाद भी प्रकरण में निदेशक आंतरिक लेखा परीक्षा को निलंबित करने के अलावा किसी अन्य ठोस कार्रवाई की जानकारी सार्वजनिक नहीं है। अफसरों की लीपापोती का नतीजा यह रहा कि इस वर्ष तबादला नीति के तहत तो ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं हो सका और ऑनलाइन करने के बहाने तीन महीने का समय शासन से लिए जाने की बात सामने आयी। जिसका परिणाम यह हुआ कि आज भी विभाग के मठाधीश अपने मनचाहे जगह पर तैनात होकर सरकार की पारदर्शिता की नीति को ठेंगा दिखा रहे हैं।