यूपी में उपभोक्ता नहीं बिजली कंपनियों के खर्च से लगेगा स्मार्ट मीटर

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राजेश मिश्र

लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में स्मार्ट प्रीपेड मीटर (Smart Prepaid Meter) लगाने का खर्च अब बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं से नहीं ले सकेंगी। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने अपने आदेश में साफ किया है कि स्मार्ट मीटर के खर्च की भरपाई उपभोक्ताओं से नहीं की जाएगी। मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा है कि स्मार्ट मीटर लगाने की योजना आत्मनिर्भर है और बिजली कंपनियां अपनी राजस्व वसूली की व्यवस्था दुरुस्त कर इसके खर्च की भरपाई करें। 

 
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि देश के सभी विद्युत नियामक आयोगों के लिए जारी आदेश में कहा गया है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर आने वाला खर्च किसी भी रूप में उपभोक्ताओं पर नहीं लादा जाएगा। आदेश में कहा गया है कि स्मार्ट मीटर लगाने का कार्यक्रम आत्मनिर्भर योजना के तहत आता है जिस पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय 900 रुपये से लेकर 1350 रुपये प्रति मीटर का अनुदान देगा। 
 
 
इसके अलावा पूरी परियोजना पर आने वाला अतिरिक्त खर्च बिजली कंपनियां मीटर रीडिंग, बिलिंग कलेक्शन में सुधार कर पूरा करेंगी। गौरतलब है कि अभी तक बिजली कंपनियां आरडीएसएस स्कीम के तहत स्मार्ट मीटर पर होने वाले खर्च की भरपाई बिजली उपभोक्ताओं के टैरिफ से करना चाह रही थीं। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने अपने आदेश में यह भी लिखा है कि उत्तर प्रदेश में जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगे हैं उससे बिजली कंपनियों को रुपया 18 से रुपया 40 प्रति मीटर फायदा हो रहा है। 
 
अवधेश वर्मा ने कहा कि पुराने मीटर को हटाकर उच्च तकनीकी के नाम पर कोई भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर या अन्य मीटर स्थापित करना बिजली कंपनियों व भारत सरकार की अपनी योजना के तहत है। इसलिए इसका खर्च किसी भी रूप में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाना चाहिए। भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने इस बात को समझकर आदेश जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब बिजली कंपनियां यदि उच्च गुणवत्ता और सही कलेक्शन एफिशिएंसी को बढाने की दिशा में प्रयास नहीं करेंगे तो इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पडेगा।