सीएम योगी आदित्यनाथ (Photo Credits-ANI Twitter)
सीएम योगी आदित्यनाथ (Photo Credits-ANI Twitter)

  • वर्तमान में प्रदेश की कानून व्यवस्था देश के लिए एक नजीर बन गई
  • राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी जनपदों में अधिवक्ता चैंबर के निर्माण का निर्णय लिया
  • मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश में सक्षम और न्याय प्रिय नेतृत्व : संसदीय कार्य मंत्री

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लखनऊ: उत्तर  प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री (Chief Minister) योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तिगत धर्म (Personal Religion) के साथ ही राष्ट्रधर्म (National Religion) भी है। राष्ट्रधर्म से जुड़ने की प्रेरणा संविधान से प्राप्त होती है। इसलिए संविधान के प्रति सम्मान का भाव हर भारतीय का दायित्व होना चाहिए। जिस भाव से हम अपने पवित्र धर्म ग्रन्थ को घर में  रखते हैं, हर भारतवासी को संविधान की प्रति को भी उसी भाव से घर में स्थान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान का वास्तविक संरक्षक भारत का आम नागरिक है।

मुख्यमंत्री आज यहां लोक भवन में संविधान दिवस और अधिवक्ता कल्याणार्थ आयोजित एक कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इससे पूर्व, संविधान दिवस पर संसद के सेंट्रल  हॉल में आयोजित कार्यक्रम के साथ वर्चुअल माध्यम से जुड़कर राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द  के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के साथ इस अवसर पर उपस्थित सभी महानुभाव द्वारा संविधान की उद्देशिका का वाचन किया गया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री  को बार काउंसिल उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष एवं प्रतिनिधियों ने स्मृति चिन्ह भेंट किया। 

विशेष अधिवेशन आयोजित किया

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी ने आज राष्ट्रपति  के साथ संविधान की प्रस्तावना को दोहराया है। यह अवसर विशिष्ट है। यह वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव और चौरी-चौरा की घटना का शताब्दी वर्ष भी है। ऐसे समय में संविधान दिवस के  कार्यक्रम से जुड़ना हम सभी का सौभाग्य है। संविधान के कारण प्रत्येक व्यक्ति को एक समान अधिकार प्राप्त हुए हैं। साथ ही, कुछ कर्तव्य भी निर्धारित किये गये हैं। उत्तर प्रदेश विधानमण्डल ने इस संबंध में चर्चा के लिए एक विशेष अधिवेशन आयोजित किया था।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि भारत का संविधान 26 नवंबर, 1949 को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित हुआ। संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद चुने गये। प्रारूप समिति का दायित्व संविधान के शिल्पी डॉ. भीमराव आंबेडकर को दिया गया। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान की मूल प्रति को देखकर पता चलता है कि संविधान निर्माता कितने दूरदर्शी थे, जिन्होंने भारत की मूल भावनाओं को कहीं पर लिपि के माध्यम से और कहीं पर चित्रों के माध्यम से उकेरने का कार्य किया। भारत के संविधान की मूल प्रति भारत की आत्मा भी है, इसमें संदेह नहीं होना चाहिए। 

प्रतिबद्धताओं और संकल्पों को जोड़ने का कार्य करता है

मुख्यमंत्री  ने कहा कि संविधान के शिल्पी बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की स्मृति में प्रधानमंत्री  ने 19 नवंबर, 2015 को मुंबई में आंबेडकर स्मारक की आधारशिला रखते हुए 26 नवंबर को भारत के संविधान दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी। इसके उपरांत बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में 26 नवंबर, 2015 को संविधान दिवस का आयोजन किया गया। तब से प्रति वर्ष संविधान दिवस के अवसर पर पूरा देश संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं और संकल्पों को जोड़ने का कार्य करता है। 

मुख्यमंत्री  ने कहा कि देश की आजादी के समय जब अंग्रेज अपनी कुटिल चाल चल रहे थे। कुछ लोगों ने भारत को अलग-अलग राष्ट्रीयताओं के समूह के रूप में दिखाने का प्रयास किया। इस समय एक बड़ा वर्ग भारत को एक रखने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ होकर कार्य कर रहा था। स्वतंत्रता के पश्चात स्वतंत्र भारत के प्रथम गृह मंत्री के रूप में सरदार वल्लभभाई पटेल ने बिना किसी विवाद के सभी की भावनाओं को समेटते हुए देशी रियासतों को जोड़कर भारत का वर्तमान स्वरूप देने का कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य किया।

देश के हर नागरिक में सम्मान का भाव दिखना चाहिए

मुख्यमंत्री  ने कहा कि भाषा, जाति आदि से ऊपर उठकर भारत को जिन भावनाओं के साथ स्थापित करने का कार्य उस समय के महापुरुषों ने किया था। उन भावनाओं के प्रति आज भी देश के हर नागरिक में सम्मान का भाव दिखना चाहिए। इस दृष्टि से भारत का संविधान हम सभी को उन भावनाओं के साथ जोड़ता है। जिसमें देश के हर नागरिक की गरिमा, स्वतंत्रता, समानता और  बन्धुत्व का भाव सम्मिलित है।  

मुख्यमंत्री ने आजादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित संविधान दिवस के कार्यक्रम के साथ अधिवक्तागण के सम्मिलित होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि जिस रूल ऑफ लॉ के लिए अधिवक्तागण कार्य करते हैं, वर्तमान राज्य सरकार ने विगत साढ़े चार वर्षाें में प्रदेश में उसी रूल ऑफ लॉ को लागू किया है। कानून का राज स्थापित करने के प्रदेश सरकार के प्रयासों से राज्य के संबंध में देश और दुनिया का पर्सेप्शन बदला है। प्रदेश के आम नागरिक में विश्वास जागृत हुआ है।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश की कानून व्यवस्था देश के लिए एक नजीर बन गई है। प्रदेश की राजधानी में आयोजित डी.जी.पी. कॉन्फ्रेंस में प्रदेश के प्रेजेंटेशन को सर्वाधिक सराहा गया। तमिलनाडु के डी.जी.पी. ने प्रदेश में रुक कर महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को बनाए रखने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गये कदमों को देखा, जिससे वह उन्हें अपने राज्य में लागू कर सकें। वर्ष 2017 से पहले प्रदेश को बीमारू राज्य माना जाता था। इन धारणाओं को बदलते हुए राज्य आज देश का सबसे आकर्षक निवेश गन्तव्य बनकर उभरा है। 44 जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि राज्य सरकार ने अधिवक्ता समुदाय के हितों के लिए निरंतर कार्य किया है। न्यायालयों के आधुनिकीकरण और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास का कार्य किया है। प्रयागराज में विधि विश्वविद्यालय की स्थापना कराई जा रही है। राष्ट्रपति  द्वारा इसका शिलान्यास किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को बार और बेंच से जो सहयोग प्राप्त हुआ है, उससे नये भारत का नया उत्तर प्रदेश बनाने में सफलता मिली है।   

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार अधिवक्ताओं के हितों के प्रति संवेदनशील है। 30 वर्ष की सदस्यता पूर्ण कर चुके सदस्यों/उनके आश्रितों के लिए  अधिवक्ता कल्याण निधि की राशि को 1.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए किए जाने विषयक अध्यादेश दिनांक 18 नवंबर, 2021 को प्रख्यापित कर दिया गया। इस संबंध में कल 25 नवंबर, 2021 को 15 करोड़ रुपए की प्रथम किस्त निर्गत की जा चुकी है। युवा अधिवक्ताओं को कार्य के शुरुआती 3 वर्षों के लिए किताब और पत्रिका क्रय करने के लिए 5 हजार रुपये की धनराशि प्रदान किए जाने विषयक शासनादेश भी कल 25 नवंबर, 2021 को निर्गत कर दिया गया है।

जिन जनपदों से प्रस्ताव प्राप्त होंगे, उनके लिए धनराशि निर्गत की जाएगी

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी जनपदों में अधिवक्ता चैंबर के निर्माण का निर्णय लिया है। जिन जनपदों से अधिवक्ता चैंबर निर्माण के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, उनके लिए धनराशि निर्गत की जा चुकी है। जिन जनपदों से प्रस्ताव प्राप्त होंगे, उनके लिए धनराशि निर्गत की जाएगी। किसी अधिवक्ता की मृत्यु पर उनके परिजनों को मिलने वाली सहायता राशि की आयु सीमा को बढ़ाकर 70 वर्ष किए जाने के संबंध में शासनादेश जारी किया जा चुका है। 

मुख्यमंत्री  ने कहा कि आर्थिक सहायता योजना के अंतर्गत मृतक अधिवक्ताओं के कुल 1,347 आश्रितों को, दिनांक 1 मई 2017 से 31 मई 2021 तक, कल्याण निधि से 65 करोड़ 42 लाख 50 हजार रुपए का भुगतान किया गया है। आर्थिक सहायता के कुल 41 आवेदन पत्रों का अनुमोदन दिनांक 7 जून, 2021 को हुआ है, जिसमें कुल 2 करोड़ 5 लाख रुपए की धनराशि का भुगतान किया गया है। उत्तर प्रदेश अधिवक्ता सामाजिक सुरक्षा निधि के अन्तर्गत, दिनांक 1 अप्रैल 2017 से दिनांक 31 मई 2021 तक, मृत्यु दावे के रूप में कुल 1,010 मृतक अधिवक्ताओं के आश्रितों को कल्याण निधि से 7 करोड़ 34 लाख 33 हजार 162 रुपए का भुगतान किया गया है।

राज्य के सम्बन्ध में लोगों की धारणा बदली है

संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने संविधान दिवस को समारोह के रूप में मनाने के लिए प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि किसी संविधान का अच्छा या बुरा होना उसका क्रियान्वयन करने वालों के ऊपर निर्भर है। कोई भी संविधान उतना ही अच्छा या बुरा हो सकता है, जितने अच्छे या बुरे उसको लागू करने वाले होंगे। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रूप में प्रदेश में सक्षम और न्याय प्रिय नेतृत्व है, जिन्होंने प्रदेश को बीमारू से उत्तम प्रदेश बनाने का कार्य किया है। प्रदेश में कानून का राज स्थापित किया है। इससे राज्य के सम्बन्ध में लोगों की धारणा बदली है। कार्य अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस अवसर पर मुख्य सचिव आर.के. तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना संजय प्रसाद, प्रमुख सचिव संसदीय कार्य जे.पी. सिंह, प्रमुख सचिव न्याय प्रमोद श्रीवास्तव, प्रदेश के महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह, बार काउंसिल उ.प्र. के अध्यक्ष श्रीश मल्होत्रा, इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेन्द्र सिंह, अवध बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश चौधरी सहित अन्य व्यक्ति उपस्थित थे।