Maharashtra government will soon bring a new textile policy, Aslam Shaikh said this about the development of powerloom sector
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कारीगर एवं जरूरी संसाधन के अभाव में उद्योग पटरी पर आना मुश्किल 

भिवंडी. वैश्विक महामारी की वजह से 25 मार्च से हुए लॉक डाउन के कारण पावरलूम उद्योग सहित समस्त रोजगार बंद होने के उपरांत अधिसंख्यक मजदूरों ने दुख झेलकर भिवंडी से मुलुक पलायन किया है. पावरलूम नगरी से मजदूरों के पलायन से पावरलूम उद्योग शासन द्वारा खोले जाने के बावजूद पावरलूम मालिकों द्वारा पावरलूम कारखानों को चलाए जाने में बेहद मुश्किल आ रही है. वैश्विक महामारी की वजह से पावरलूम कारखानों में काम करने वाले तमाम मजदूर एवं पावरलूम कारखानों में प्रयुक्त होने वाले जरूरी साधनों से जुड़े मजदूर बदहाली झेल कर एवं कोरोना महामारी संक्रमण के भय से भिवंडी को बाय-बाय कह कर अपने मूल गांव चले गए हैं.

मजदूरों के न होने से पावरलूम मालिकों के समक्ष पावरलूम कारखानों को चलाने की चुनौती हो गई है. पावरलूम मालिक कारखाना शुरू किए जाने की भागदौड़ तो कर रहे हैं बावजूद नतीजा कुछ हासिल नहीं हो रहा है, जिसका प्रमुख कारण भिवंडी से भारी तादाद में मजदूरों का पलायन होना है. भिवंडी नगरी अब बगैर मजदूरों की हो गई है. मजदूर विहीन भिवंडी नगरी में कोई भी कामकाज सरलता से किया जाना नितांत कठिन ही नहीं बेहद मुश्किल है.

करीब 5 लाख से अधिक यूनिट्स हैं भिवंडी में 

पावरलूम नगरी भिवंडी में पावरलूम कारखानों सहित यार्न डाइंग, कपड़ा डाइंग आदि को लेकर करीब 5 लाख से अधिक यूनिट्स हैं. पावरलूम कारखानों, यार्न डाइंग, कपड़ा डाइंग में करीब 3 लाख से अधिक मजदूर 2 पारियों में कार्य करते हैं. वैश्विक महामारी से हुए लाक डाउन की वजह से बंद हुए रोजगार के कारण असंगठित मजदूरों के समक्ष भुखमरी पैदा हो गई थी, जिसकी वजह से भिवंडी शहर से लाखों की संख्या में मजबूर पैदल, ट्रक, टेंपो, ट्रेन, बस आदि सुलभ साधनों से भिवंडी से मुलुक पलायन कर चुके है.

भिवंडी में 10% भी नहीं मजदूर

10 दिन पूर्व शासन द्वारा भिवंडी पावरलूम उद्योग को अनलॉक कर  शुरू किए जाने की मंजूरी प्रदान की गई है. शासन की मंजूरी के उपरांत पावरलूम मालिकों द्वारा उद्योग को शुरू किए जाने की भरसक कोशिश अंजाम दी जा रही है बावजूद जरूरी मजबूर न होने से पावरलूम कारखानों को चलाना नितांत मुश्किल हो गया है. पावरलूम उद्योग संचालन में लगने वाले लूम कारीगर, कांडी मशीन चालक, मुकादम सहित भीम भराई कारीगर, फनी बनाने वाले, हमाल, टेंपो चालक आदि के नहीं होने से पावरलूम उद्योग को चलाना कठिन साबित हो रहा है.

कारीगरों को फोन कर वापसी का टिकट देने की लगा रहे गुहार

पावरलूम मालिक मुलुक गए कारीगरों को फोन कर वापसी का टिकट देने का भरोसा देते हुए भिवंडी आने की गुहार मजदूरों से कर रहे हैं. पावरलूम कारखाना मालिक श्रीराज सिंह ठाकुर, लाल मोहम्मद अंसारी, फारूक शेख, हारुन अंसारी, महेंद्र सिंह,इश्तियाक भाई, हाजी वल्ली अंसारी, अफसान भाई, माणिक सुल्तानिया उमेश जोगनी, मुरली सेठ, एमुल नरसैय्या, गुड्डू सेठ आदि का कहना है कि भिवंडी पावरलूम उद्योग को पूर्ववत चलाने के लिए मजदूरों की जरूरत है जो लॉक डाउन से बेजार, दुख भोग कर  मुलुक चले गए हैं. मजदूरों की वापसी के बगैर पावरलूम उद्योग को चलाना बेहद कठिन है. भिवंडी में रह रहे शेष मजदूर भी घर जाने की फिराक में हैं. मजदूर जेब में पैसा होते ही कब घर निकल जाएंगे, कहना मुश्किल है. मुलुक गए हुए मजदूर अब 4-6 माह के पहले भिवंडी नहीं वापस आएंगे. मजदूरों के वापस आने पर ही भिवंडी पावरलूम उद्योग में रौनक होने की संभावना है अन्यथा  पावरलूम उद्योग बंदी के दंश को झेलता रहेगा और पावरलूम मालिक कर्जदार व आर्थिक रूप से कंगाल हो जाएंगे.