मराठा आरक्षण के लिए गूंजी छत्रपति संभाजी राजे की हुंकार

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एमपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग

नवी मुंबई. वाशी के माथाड़ी भवन में मंगलवार को आयोजित मराठा क्रांति मोर्चा की राज्यस्तरीय बैठक में छ्त्रपति संभाजी राजे भोसले की जमकर हुंकार गूंजी. मराठा समाज और विविध संगठनों के सैकड़ों प्रतिनिधियों की उपस्थिति में यहां मराठा आरक्षण पाने के लिए संघर्ष की नयी रणनीति पर चर्चा की गयी.यहां आरक्षण का मुद्दा उठाते हुए छत्रपति संभाजी राजे भोसले ने कहा कि चाहे जो भी हो जाए मराठा समाज को आरक्षण दिलाकर रहेंगे. उन्होंने 11 अक्टूबर को होने वाली एमपीएससी परीक्षा को भी रद्द करने की मांग की.

उन्होंने कहा कि कोरोना और लॉकडाउन के कारण अधिकांश मराठा युवक इस परीक्षा में नहीं पहुंच सकेंगे.साथ ही आरक्षण नहीं होने से उन्हें इस परीक्षा का कोई लाभ नहीं मिलेगा इसलिए आरक्षण लागू होने तक यह परीक्षा रद्द होनी चाहिए. उन्होंने एमपीएससी में मराठा युवाओं की सहभागिता बढाने पर जोर दिया. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर मराठा समाज की अवहेलना कर एमपीएससी परीक्षा करायी गयी तो मराठा समाज उसके खिलाफ हर सेंटर पर आंदोलन कर परीक्षा रोकेगा जिसकी जिम्मेदार सरकार होगी. यहां सभागार में छत्रपति शिवाजी महाराज और संभाजी राजे भोसले की जमकर नारेबाजी की गयी.

संभाजी राजे के नेतृत्व में बढ़ेगा मोर्चा : नरेन्द्र पाटिल

राज्य सरकार ने मराठा आरक्षण दिया है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण इसे लागू नहीं किया जा सकता. हमारी मांग है कि उसे संविधान पीठ को भेजा जाए और जो सूपर मेमोरियल आरक्षण मिला है उसे पड़ोसी राज्यों की तरह महाराष्ट्र सरकार भी लागू करे. सबसे बड़ा मुद्दा मराठा समाज के युवाओं को एमपीएमसी एक्जाम में ज्यादा से ज्यादा सहभागिता दिलाने का है. उन्होंने कहा कि मराठा समाज की बैठक में छत्रपति संभाजी राजे भोसले को आमंत्रित करने का मकसद यही है कि मराठा समाज अब संभाजी राजे के नेतृत्व में आरक्षण के लिए आगे बढ़ेगा, जो छत्रपति संभाजीराजे जो भी फैसला लेंगे उसी के अनुसार मराठा समाज आगे बढ़ेगा.  

विरोधियों का पर्दाफाश करना होगा

एक सवाल के जवाब में माथाड़ी नेता नरेन्द्र पाटिल ने कहा कि यह सही है कुछ लोग नहीं चाहते कि मराठा समाज को आरक्षण मिले. हालांकि ऐसे लोगों को समझना होगा और आरक्षण के लिए एकजुट होकर संघर्ष करना होगा. नारायण राणे पर टिप्पणी के सवाल पर पाटिल ने कहा कि हम चाहते हैं कि अगर कोई मराठा आरक्षण के लिए मदद नहीं कर सकता उसे व्यवधान नहीं डालना चाहिए.