उल्हासनगर. कोरोना पर नियंत्रण पाने की कोशिश के लक्ष्य को लेकर उल्हासनगर मनपा प्रशासन द्वारा शहर में एक बार फिर से रविवार, 12 से 22 जुलाई के बीच 10 दिनों का लॉकडाउन घोषित किया गया है. बार-बार लॉकडाउन बढ़ाए जाने से दुकानदारों, व्यापारियों का अब सब्र टूटने लगा है. लॉकडाउन का इन्होंने दबी जुबान से दुकानदारों- व्यापारियों का नेतृत्व करने वाले संगठनो ने खुल कर विरोध शुरू कर दिया है.
उल्हासनगर शहर की पहचान एक उघोग नगरी के तौर पर होती है. यहां इंसांन की रोजमर्रा की जरूरत का सभी सामान बनता है, इनमें कपड़े, रेडीमेड कपड़े, लकड़ी व स्टील का फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स, चॉकलेट, आचार, पापड़, बिस्कुट, होली, दीवाली, सार्वजनिक गणेशोत्सव, नवरात्रि जैसे त्यौहार के लिए आवश्यक चीजों आदि का समावेश है. अंबरनाथ, बदलापुर, कल्याण, टिटवाला , कसारा, कर्जत तक के लोग भी बड़ी संख्या में उल्हासनगर के मार्केट पर निर्भर रहते है.
हम 22 जुलाई तक लॉकडाउन के पक्ष में नहीं
नए 10 दिवसीय लॉकडाउन के संदर्भ में टीम ओमी कालानी के व्यापार प्रकोष्ठ उल्हासनगर ट्रेड एसोसिएशन (यूटीए) के कार्याध्यक्ष दीपक छतलानी ने इस संदर्भ में कहा कि उल्हासनगर मनपा के आयुक्त डॉ. राजा दयानिधि ने जो 22 जुलाई तक का लॉकडाउन घोषित किया है, हम उसके पक्ष में कतई नहीं है. छतलानी के मुताबिक यूटीए ने 7 दिन का सेल्फ लॉकडाउन ट्रायल बेसिस पर करने को कहा था, 10 दिन लॉकडाउन करने के बाद भी केसेस कम नहीं हो रहे, इसलिए हम 22 जुलाई तक लॉकडाउन के पक्ष में नहीं है. दीपक छतलानी ने कहा है कि टीओके के नेता ओमी कालानी व यूटीए अध्यक्ष सुमीत चक्रवर्ती के नेतृत्व में यूटीए टीम मनपा आयुक्त डॉ दयानिधि से मिलकर लॉकडाउन वापस लेने की मांग करेंगे.
लॉक डाउन समस्या का समाधान नहीं
भाजपा नेता नगरसेवक प्रदीप रामचंदानी ने लॉकडाउन पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि दुकानों को तुरंत प्रभाव से खोलना चाहिए क्योंकि तालाबंदी किसी प्रकार से बीमारी का उपाय नहीं हो सकती है. ज्यादा दिनों की आर्थिक नाकेबंदी बेरोजगारी व डिप्रेशन को बढ़ाती है जिससे कोरोना बीमारी से ज्यादा आदमी को दूसरे तनाव से ग्रसित होने लगे है तथा यह बीमारी के लक्षण है. इसलिए मैं तत्काल प्रभाव से व्यापारिक संगठन को खोलने के पक्ष में हूं और चाहता हूं कि सोशल डिस्टेंसिंग और जो मानक हैं उसका अमल किया जाए. प्रदीप रामचंदानी के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान मनपा प्रशासन को शहर में इलाज व अस्पताल और अस्पतालों में बेड़ की पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए थी, इसमें सरकार व मनपा पूरी तरह फेल साबित हुई है.
दुकानदारों की भी आर्थिक हालत खस्ता हो गई
वहीं, नेहरू चौक के एक दुकानदार दिलीप असरानी ने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग के अनुसार दुकानदारों को दुकाने खोलने का मौका मिलना चाहिए क्योंकि दुकानदार अब और इंतजार नहीं कर सकते हैं. दुकानदारों की भी आर्थिक हालत खस्ता हो गई है.