After Ayodhya, now the issue of Krishna Janmabhoomi in Mathura is ready to be heated

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विश्व हिन्दु परिषद और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के इंकार के बाद भी मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने की मुहिम उत्तर प्रदेश में परवान चढ़ने जा रही है. जन्माष्टमी के मौके पर हस्ताक्षर अभियान चला कर इसकी शुरुआत की जाएगी.

हालांकि इस पूरे मुद्दे को लेकर मथुरा शहर में किसी तरह का जनसमर्थन अभी तक नही है. मथुरा के स्थानीय नेताओं और लोगों का कहना है कि यहां जन्मभूमि को लेकर कोई विवाद नहीं है और कुछ लोग अमन चैन को बिगाड़ने की कोशिश करते रहते हैं. मथुरा में शाही ईदगाह को कृष्ण जन्मभूमि बताते हुए इसे वापस लेने का दावा किया जाता रहा है. हालांकि अभी इस संदर्भ में कोई भी वाद किसी अदालत में नहीं है.

बुधवार को कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर एक अभियान चला कर इसे मुक्त कराने की शुरुआत की जाएगी. कृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास के नाम से इस आंदोलन को चलाने के लिए संस्था 23 जुलाई को हरियाली तीज के मौके पर पंजीकृत कराई जा चुकी है. संस्था की कमान संत देव मुरारी आचार्य के हाथों में है. दावा किया जा रहा है कि पंजीकृत कराए गए न्यास से देश के 14 राज्यों के 80 से ज्यादा संत जुड़े हुए हैं. देव मुरारी ने देश भर के संतो से कृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए आंदोलन करने का आह्वान किया है.

कृष्णा जन्माष्टमी से हस्ताक्षर अभियान शुरु करने के साथ ही कोरोना संकट के समाप्त होने पर इस आंदोलन को और तेज किया जाएगा. न्यास ने इसके लिए नंदलाला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे का नारा दिया है. यह ठीक उसी तर्ज पर है जिस तरह का नारा राम मंदिर के आंदोलन में दिया गया था. मथुरा कैंट होर्ड के उपाध्यक्ष रहे कमलकांत उपमन्यु बताते हैं कि जमीन को लेकर यहां दोनो पक्षों में काफी पहले से सहमति बन चुकी है और कोई विवाद नहीं है. उनका कहना है कि बाहर से आए हुए कुछ संत यहां विवाद पैदा करने का प्रयास करते रहते हैं पर स्थानीय लोगों के लिए यह कोई मुद्दा नहीं है.

गौरतलब है कि विहिप के एजेंडे में पहले से ही अयोध्या के साथ ही मथुरा और काशी विश्वनाथ मंदिर को मुक्त कराना रहा है. हालांकि अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद विहप और संघ दोनो ने खुल कर इस एजेंडे पर चलने के लिए हामी नहीं भरी है. विहिप के महासचिव चंपत राय ने जरुर कुछ दिनों पर पहले मथुरा का दौरा किया था और हालात को समझा था. न्यास से जुड़े लोगों का कहना है कि प्रारंभ में संघ या विहिप कृष्ण जन्मभूमि के आंदोलन में सीधे तौर पर शामिल नही होगा बल्कि संतो को ही इसकी कमान दी जाएगी. बाद में जनता की प्रतिक्रिया को देखते हुए इस पर फैसला लिया जाएगा. विहिप का मानना है कि मथुरा की शाही ईदगाह की जमीन पर ही कृष्ण का जन्म हुआ था. इस ईदगाह के ठीक बाहर मथुरा का सबसे पुराना केशवदेव महराज का मंदिर है. शाही ईदगाह के प्लेसेज आफ वरशिप एक्ट के तहत संरंक्षण मिला हुआ है.

-राजेश मिश्र