राजेश मिश्र
लखनऊ: बीते एक साल से भी ज्यादा समय से चल रहे कोरोना संकट (Corona Crisis) ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की टेक्सटाइल (Textile) व परिधान इकाइयों पर बुरा असर डाला है। महामारी के दौरान प्रदेश में कपड़ा उद्योग का केंद्र कहे जाने वाले कानपुर (Kanpur) में मौजूद इकाइयों की कर्ज की जरुरत भी घट गयी और उनके कारोबार पर भी असर पड़ा है। भारतीय कपड़ा और परिधान उद्योग पर भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और सीआरआईएफ़ हाई मार्क, की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते साल दिसंबर तक इस क्षेत्र को मिले कुल कर्ज की राशि 1.62 लाख करोड़ रुपये रही है जिसमें 20 फीसदी की गिरावट देखी गयी है।
उत्तर प्रदेश में कपड़ा एवं परिधान उद्योग का हब कहे जाने वाले कानपुर में इस अवधि में ऋण की राशि में करीब 42 फीसदी की गिरावट देखी गयी है। मार्च 2020 में कोविड-19 के लॉकडाउन के तत्काल बाद में विनिर्माण गतिविधियों के निलंबन के कारण ऐसा हुआ है। कानपुर में इस दौरान कुल कर्ज का आउटस्टैंडिंग पोर्टफोलियो 1730 करोड़ रुपये रहा है।
10000 से ज्यादा कपड़ा व परिधान उद्योग की इकाइयां कार्यरत
समूचे यूपी के कपड़ा उद्योग का क्रेडिट पोर्टफोलियो 4600 करोड़ रुपये के लगभग है। उत्तर प्रदेश में इस समय 10000 से ज्यादा कपड़ा व परिधान उद्योग की इकाइयां कार्यरत हैं। इस रिपोर्ट में भारतीय कपड़ा और परिधान उद्योग का विश्लेषण किया गया है। इस उद्योग ने बीते दो सालों में एनपीए के स्तर में तिमाही गिरावट दर्ज की है। कपड़ा उद्योग का एनपीए जहां सितंबर 2018 में 29.59 फीसदी था, वहीं सितंबर 2020 में यह गिरकर 15.98 फीसदी रह गयी। दिसंबर 2020 में इन एनपीए में केवल 0.94 फीसदी की बढ़त हुई है जो दिसंबर 2019 की तुलना में 8 फीसदी कम है।
कर्ज में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी महाराष्ट्र की
सिडबी-सीआरआईएफ की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते कुछ सालों से परिधानों ने निर्यात के अधिकांश हिस्से का योगदान दिया है, इसके बाद घरेलू कपड़े और वस्त्र का स्थान है। हालांकि उद्योग स्पाटलाइट के मुताबिक, दिसंबर 2020 तक निर्यात ऋण 25 फीसदी कम रहा है, जिसका मुख्य कारण वैश्विक महामारी के कारण निर्यात में आई गिरावट है। इस उद्योग को दिए गए कर्ज का करीब 95 फीसदी हिस्सा छोटे व मझोले उद्योगों के पास है। अगर राज्यों के हिसाब से देखें तो कर्ज में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी महाराष्ट्र की है।
भारत वस्त्रों के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी
सिडबी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सिवसुब्रमणियन रमण ने कहा कि भारत में कपड़ा और परिधान उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे पुराने और सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है और देश में रोजगार देने में बड़ी भूमिका रखता है। यह क्षेत्र, निर्यात में पांचवां सबसे बड़ा है, जो देश की निर्यात आय का 12 फीसदी और सकल घरेलू उत्पाद में 2 फीसदी का योगदान करता है। भारत वस्त्रों के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी है और इसके पास संपूर्ण विनिर्माण मूल्य श्रृंखला है। केंद्रीय बजट 2021-22 में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करने की सोच में अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा गया है और तदनुसार, वैश्विक स्तर पर भारत की कपड़ा प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए, एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान पार्क की एकीकृत योजना (एमआईटीआरए) की घोषणा भी की गई थी, जो घरेलू बाजार में तीव्र सुधार को परिदर्शित करने के लिए प्लग एंड प्ले सुविधाओं के साथ विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार करेगी।