योगी राज में उत्तर प्रदेश पंचायतों में महिलाओं का परचम, आधे से ज्यादा सीटों पर कब्जा

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    राजेश मिश्र

    लखनऊ. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनावों (Panchayat Elections) में महिलाओं का दबदबा दिखायी दिया है। पंचायत (Panchayat) के विभिन्न स्तर के पदों में आधे से ज्यादा पर महिलाओं का कब्जा हो गया है। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में इस बार ग्राम प्रधान के पद पर 31212, ब्लाक प्रमुख के पद पर 447 और जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर 42 महिलाएं चुनाव जीती हैं। यह तादाद कुल पदों के आधे से भी ज्यादा है।

    हालांकि प्रदेश की पंचायतों में महिलाओं का एक तिहाई आरक्षण है, लेकिन सभी छोटे बड़े पदों पर उनकी मौजूदगी कोटे से ज्यादा है। प्रदेश में यह पहला मौका है, जब इतनी बड़ी तादाद में महिलाओं ने पंचायत चुनावों में जीत हासिल की है। पंचायत चुनावों के नतीजों के अनुसार इस बार निर्वाचित प्रधानों में से 53.7 फीसदी यानि 31212 महिलाएं हैं जबकि ग्राम प्रधान के 26,955 पदों पर पुरुष जीते हैं। पिछले चुनावों में 25809 महिलाएं ही ग्राम प्रधान का चुनाव जीती थी। सूबे की 75 जिला पंचायतों के अध्यक्ष पदों में से 42 पर महिलाओं का कब्जा हुआ है, जबकि एक तिहाई आरक्षण कोटे के अनुसार उनकी हिस्सेदारी 24 पदों तक होती है। राज्य मंत्री स्तर वाले इन पदों पर महिला प्रतिनिधित्व 56 फीसदी है। जिला पंचायत अध्यक्ष के 33 पदों पर पुरुषों को जीत हासिल हुई है।  

    पंचायतों के दूसरे अहम् पद क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष यानि ब्लाक प्रमुखों के चुनाव में कुल 825 पदों में से 447 पर महिलाएं जीती हैं। उनकी यह हिस्सेदारी भी 54.2 फीसदी है। कुल मिलाकर सूबे की पंचायतों में महिला प्रतिनिधित्व 53.7 फीसदी है जो एक तिहाई आरक्षण कोटे से कहीं अधिक है। 

    इस बार पंचायत चुनावों में स्वयं सहायता समूह की कुल 3521 महिलाओं ने विभिन्न पदों के लिए किस्मत आजमाई थी जिसमें से 1534 ने चुनाव जीता है।  उत्तर प्रदेश में 21 साल की आरती तिवारी ने बलरामपुर जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध जीता है तो सहारनपुर में सफाईकर्मी की पत्नी और बहराइच में मनरेगा कर्मी की पत्नी ने ब्लाक प्रमुख का चुनाव जीता है। पंचायत राज विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कई राज्यों में 50 फीसदी आरक्षण होने के बाद भी देश में महिलाओं का औसत प्रतिनिधित्व 36.87 फीसदी ही है। इसके उलट उत्तर प्रदेश में महिलाओं ने कहीं ज्यादा पदों पर पंचायत चुनावों में बाजी मारी है।