नई दिल्ली: कई बार ऐसी खबरें सामने आती है, जिनके बारे में हम कभी सोच भी नहीं सकते। कहते है की हम जहां रहते है वहां आसपास के लोग यानी पड़ोसी अच्छे होना चाहिए वरना बहुत दिक्क़ते होती है, ऐसा ही कुछ जर्मनी के एक बुजुर्ग दंपती के साथ हो रहा है, जहां उनके पड़ोसी तो अच्छे है लेकिन पड़ोसी के मुर्गे ने इस बुजुर्ग जोड़े का जीना मुश्किल कर दिया है।
जर्मनी का अजीबोगरीब मामला
दरअसल पड़ोसी का मुर्गे ने इस जोड़े का जीना हराम कर दिया है। दरअसल जर्मनी के Bad Salzuflen में रहने वाले बुजुर्ग जोड़े की दिक्कत ये है कि उन्हें पड़ोसी का मुर्गा दिन में किसी भी वक्त चैन से बैठने नहीं देता और सुबह-सुबह ही बांग देकर जगा देता है, और इतना ही नहीं बल्कि दिन में करीब 200 बार बांग देता है, जिस वजह से इस दंपति का जीना बेहद मुश्किल हो गया है।
इस वजह से हुआ नाक में दम
आपको बता दें कि पश्चिमी जर्मनी के रहने वाले 76 साल के बुजुर्ग फ्रीडरिच विलहेम (Friedrich-Wilhelm) और उनकी पत्नी जुता (Jutta) की शिकायत है कि उन्होंने बेहद लंबे वक्त से अपने ही घर में सुकून का एक दिन नहीं बिताया है, लेकिन इसकी वजह कोई इंसान नहीं बल्कि एक जानवर है। जी हां इसकी वजह है उनके पड़ोसी का पाला हुआ मुर्गा।
दिन भर देता है बांग
दंपति के बताए अनुसार वो रोज़ाना सुबह करीब 8 बजे से बांग देना शुरू कर देता है और उसका ये सिलसिला तब तक खत्म नहीं होता, जब तक सूरज ढल न जाए। मतलब वो पुरे दिन बांग ही देता रहता है। माग्दा नाम के इस मुर्गे को उसके मालिक बाकी मुर्गे-मुर्गियों का साथ ही बंद करके रखते हैं। बुजुर्ग दंपती ने इस मामले पर उनके पड़ोसियों से बातचीत कर हल निकालने की कोशिश की लेकिन कुछ भी काम नहीं आया।
मुर्गे के इस हरकत पर कोर्ट करेगा फैसला
जा पड़ोसियों से बातचीत कर यह मामला नहीं सुलझा तो उन्होंने आखिरकार कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। स्थानीय रिपोर्ट्स के मुताबिक दंपती का कहना है कि वे अपने घर की खिड़की तक नहीं खोल सकते क्योंकि शोर बर्दाश्त से बाहर होता है। कपल के वकील का कहना है कि मुर्गे की बांगा 80 डेसिबल से भी ऊपर है, जो आमतौर पर व्यस्त सड़क का शोर होता है।
उसकी वजह से कई पड़ोसी घर छोड़कर जा चुके हैं। इतना ही नहीं बल्कि इस कपल ने मुर्गे की बांग को रोज़ाना रिकॉर्ड भी किया है, ताकि कोर्ट में सुनाया जा सके। वहीं मुर्गे के मालिक का कहना है कि उन्हें मुर्गियों को कंट्रोल करने के लिए मुर्गे की ज़रूरत है और माग्दा यही करता है। ये मामला जिला कचहरी में सुने जाने की पूरी तैयारी हो चुकी है, अब देखना यह होगा आखिरकार समस्या से कैसे छुटकारा मिलता है और कोर्ट कौन सा फैसला सुनाता है।