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नई दिल्ली: कई बार कुछ ऐसी जानकारी सामने आ जाती है जिसके बारे में जानकर हमारे होश उड़ जाते है। आमतौर पर हम सब जानते है की पानी निर्मिति कैसे होती है। जैसे कि अपनी यह आकाश से वर्षा के रूप में आता है और फिर झीलों, नदियों के रूप में जमीन पर आता है। इस तरह हमें पानी मिलता है और हम यह भी जानते है कि  जमीन के नीचे भी पानी है। आमतौर पर हवा ठंडी होने पर पानी में बदल जाती है। लेकिन क्या आपने कभी खून वाले पानी के बारे में सुना है? चौंक गए ना? लेकिन दुनिया में एक ऐसी जगह है जहां पीने का पानी खून से तैयार किया जा रहा है, वह भी जानवरों के खून से… आइए जानते है क्या है पूरी खबर… 

जानवरों के खून से पानी 

बदलते वक्त के साथ विज्ञान ने दुनिया में बहुत कुछ बदला है और आगे भी बहुत कुछ बदलता रहेगा। जैसा कि  हम सब जानते है कि इसके कुछ नुकसान भी हैं तो कुछ फायदे भी। वहीं कुछ ऐसी तकनीक भी बनाई जा रही है जो हमारी कल्पना से परे है। ऐसी ही एक तकनीक बेल्जियम की एक कंपनी ने विकसित की है, जिसके बारे में जानकर आप दंग रह जाएंगे। 

बेल्जियम की कंपनी का अनोखा काम 

मिली जानकारी के मुताबिक, बेल्जियम की एक कंपनी पशु प्रोटीन उत्पादों की आपूर्ति में अग्रणी है। वे जानवरों के रक्त और कोलेजन को उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन पाउडर में परिवर्तित करते हैं, जिनका उपयोग मानव और पशु भोजन में किया जाता है। अभी तक कंपनी जमीन से पानी निकालती थी और उसका इस्तेमाल अपने कामकाज में करती थी, लेकिन अब कंपनी ने एक अलग विकल्प निकाला है। आइए जानते है इस कंपनी ने क्या किया है। 

सुअर के खून से पीने

दरअसल हुआ यह कि कंपनी सुअर के खून को स्टोर करने वाले टैंक को पानी से धोती थी और इससे काफी पानी बर्बाद होता था। ऐसे में कंपनी ने वॉटर प्यूरिफिकेशन प्लांट लगाने के लिए 17.66 करोड़ से ज्यादा का निवेश किया है, जिसके जरिए सुअर के खून से पीने का पानी बनाया जा सकता है। जी हां  यह सच है इस बारे में खुद कंपनी के CEO ने जानकारी दी है। आइए जानते है उन्होंने क्या कहा है। 

कंपनी के CEO रॉबर्ट स्लाय 

इस कंपनी के CEO रॉबर्ट स्लाय ने इस तकनीक की जानकारी देते हुए बताया कि पहले खून को उबाला जाएगा और भाप के रूप में प्राप्त पानी को संघनित कर फिर पानी में बदला जाएगा। इस नए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के पानी का उत्पादन में इस्तेमाल किया जाएगा। इससे 40 फीसदी पानी बचाने में मदद मिलेगी। इससे टंकी साफ होगी और पीने योग्य होगी। इसका स्वाद पानी जैसा होगा। उन्होंने कहा कि इस स्थापना से प्रतिदिन डेढ़ लाख लीटर पानी प्राप्त किया जा सकता है। अब देखना यह होगा की यह तकनीक कितनी काम आती है।