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  • 20 वर्षो से जारी है संघर्ष, सरकार नही ले रही सुध, दिखावे के लिए मिल रहा केवल आश्वासन

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विरुल(वर्धा). जिले के वैभव में महत्वपूर्ण व चारचांद लगानेवाले शकुंतला का संघर्ष गत 20 वर्षो से खत्म ही नही हो रहा है. आज भी शकुंतला अच्छे दिन की प्रतिक्षा में है. अब हालात यह है कि, ऐतिहासिक धरोवर  कहलानेवाला शकुंतला का मुख्य रेलवे स्टेशन खंडहर में तब्दिल हो गया है. इसके बावजूद भी सरकार सुध लेने की मन:स्थिति में नही दिख रही है. 

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जब सफर के लिए साधन नही थे उस वक्त अंग्रेजों ने शकुंतला नामक ट्रेन की शुरुआत की. आर्वी व पुलगांव इन दो शहरों को जोडनेवाली शकुंतला अनेक जरुतमंदो के सहारा बनी थी. परंतु 20 वर्षो से यह शकुंतला आज भी बंद है. पुलगांव से आर्वी उस समय दौडनेवाले शकुंतला का मार्ग ब्रॉडगेज में रुपांतरण हुआ तो पूरा विदर्भ जोडा जा सकता था, ऐसा शकुंतला मुक्ति के लिए लडनेवाले वरिष्ठ समाजसेवक बाबासाहब गलाट का मानना है.

शकुंतला मुक्ति के लिए काफी प्रयास किए जा रहे है. क्लिस अॅन्ड निक्सन कंपनी के कब्जे में होनेवाले आर्वी-पुलगांव, यवतमाल-मुर्तिजापूर-अचलपुर इन तीनों शकुंतला नैरोगेज रेलवे मार्ग जुलाई 2016 से मुक्त हुए. लेकिन उसके बाद से ही शकुंतला का विकास रुका हुआ है. शकुंतला विकास के लिए रेलवे मुक्ति व विकास समिति की स्थापना हुई. इस समिति के सचिव बाबासाहब गलाट ने शकुंतला के अच्छे दिन का प्रश्न अनेक मंत्रियों के समक्ष रखा. गत 20 वर्षो में 14-15 रेलवे मंत्री की ओर प्रश्न रखकर शकुंतला को पुनर्जिवित करने की मांग की गई है. उसके लिए बार-बार निवेदन दिए गए. शकुंतला प्रेमियों ने श्रृंखला अनशन किया. विविध तरह के आंदोलन किए. लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिले.

वर्ष 2016-17 के रेलवे बजट में शकुंतला ब्रॉडगेज के लिए निधि का प्रावधान तक किया गया. शकुंतला फिर से दौडेगी, ऐसा बताया गया. पुलगांव से वरुड रेलवे मार्ग तैयार होने का सपना दिखाया गया. परंतु अब तक प्रत्यक्ष काम की कही भी शुरुआत नही हुई है. सांसद रामदास तडस ने अनेक बार रेलवे मार्ग का प्रश्न लोकसभा में उपस्थित किया. लेकिन उसका आगे क्या हुआ? इसका पता नही चल सका. राज्य सरकार ने रेलवे मार्ग के विस्तारीकरण के लिए 50 फीसदी निधि देने की बात कबुल की थी. लेकिन उस निधि का क्या हुआ? इसका खुलासा नही होने शकुंतला के पहिये आज भी रुके हुए है. जिससे उसके अच्छे दिन कब आयेंगे? ऐसा सवाल उपस्थित हो रहा है.

शकुंतला का विकास करें- गलाट

शकुंतला रेलवे मुक्ति समिति के बाबासाहब गलाट ने कहा कि, शकुंतला के पहिये फिर से दौडे, इलके लिए समिति ने काफी प्रयास किए. परंतु सरकार की ओर से मात्र आश्वासन ही मिल रहा है. अबतक प्रत्यक्ष काम की शुरुआत नही हुई है. शकुंतला से पूर्ण विदर्भ को जोडना संभव है. लेकिन इस ओर सरकार गंभीर नही है. इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए.

खंडहर बना जिले का वैभव 

किसी समय में अनेक यात्रियों का सहारा बनी शंकुतला ट्रेन का नामोनिशान ही मिटने की कगार पर है. उसके साथ ही जिले का वैभव कहलानेवाले शकुंतला का मुख्य  रेलवे खंडहर में तब्दिल हो गया है. जिससे जिले का वैभव नष्ट हो गया है.