President Bidya Devi Bhandari convenes session of lower house of parliament amid political crisis in Nepal
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काठमांडू. नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने अपने मतभेदों को दूर करने के लिए सोमवार को दो घंटे तक अनौपचारिक बातचीत की, लेकिन यह बेनतीजा रही। दोनों नेताओं ने रविवार को भी तीन घंटे तक मैराथन बैठक की थी, लेकिन इसमें भी सत्ता साझा करने संबंधी समझौते पर कोई सहमति नहीं बनी। प्रधानमंत्री के करीबी एक नेता ने कहा, ‘‘रविवार को हुई बातचीत सकारात्मक थी और सोमवार को भी उसी दिशा में बात हुई।” सोमवार को हुई बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ओली के साथ उनके विश्वासपात्र सुभाष नेबांग भी थे जो पार्टी के दोनों धड़ों के बीच मतभेदों के समाधान के लिए मध्यस्थ के रूप में काम कर रहे हैं। वहीं, प्रचंड के साथ वरिष्ठ नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री झलानाथ खनाल थे। सूत्रों ने बताया कि क्योंकि स्थायी समिति की बैठक अनिश्चिमकाल के लिए टल गई है, इसलिए दोनों नेता पार्टी की 45 सदस्यीय इकाई की बैठक की नयी तारीख तय करने का प्रयास कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ओली ने स्थायी समिति की महत्वपूर्ण बैठक को 28 जुलाई को नौवीं बार टाल दिया था। माई रिपब्लिका अखबार ने खबर दी कि ओली जहां मतभेदों के समाधान के लिए सचिवालय की बैठक बुलाने पर अड़ गए, वहीं प्रचंड ने कहा कि सचिवालय की बैठक बुलाना अनुचित होगा क्योंकि स्थायी समिति की बैठक 28 जुलाई को स्थगित कर दी गई जिसे अभी पूरा होना है। अखबार ने कहा, ‘‘एनसीपी के दोनों शीर्ष नेताओं के बीच बैठक बेनतीजा रही क्योंकि दोनों पक्ष अपनी-अपनी मांगों पर अड़ गए।” इसने कहा, ‘‘क्योंकि दोनों नेताओं के बीच इस बात पर मतभेद थे कि पहले सचिवालय की बैठक बुलाई जाए या स्थायी समिति की, इसलिए बैठक एक बार फिर बेनतीजा रही और मंगलवार को फिर बैठक करने पर सहमति बनी।”

ओली और प्रचंड के बीच हाल के सप्ताहों में मतभेद दूर करने के लिए कम से कम 10 बैठक हो चुकी हैं, लेकिन सभी बेनतीजा रहीं क्योंकि ओली ने प्रधानमंत्री पद और एनसीपी के सह-अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के शीर्ष नेताओं के बीच पिछले कुछ सप्ताह से आंतरिक कलह काफी बढ़ गई है। प्रचंड ने यह कहते हुए ओली के इस्तीफे की मांग की है कि उनकी भारत विरोधी टिप्पणियां न तो ‘‘राजनीतिक रूप से सही हैं और न ही कूटनीतिक रूप से उचित।” कई शीर्ष नेता ओली की ‘निरंकुश’ शैली के खिलाफ हैं। (एजेंसी)