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    जिनेवा: विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) (डब्ल्यूएचओ) (WHO) ने एक वर्ष पहले आज ही के दिन कोरोना वायरस (Corona Virus) को महामारी घोषित किया था। इससे हफ्तों पहले तक संगठन को उम्मीद थी कि काफी संक्रामक वायरस को रोका जा सकता है। अब एक वर्ष बाद संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एजेंसी कोविड-19 (Covid-19) से निपटने के उपायों से जूझ रही है और देशों को मना रहा है कि वे अपनी राष्ट्रवादी प्रवृत्तियां छोड़कर जहां से भी टीका मिलता हो हासिल करें।

    वायरस को महामारी घोषित किए जाने से पहले एजेंसी ने कुछ गलत परामर्श भी जारी किये – इसने लोगों को कई महीने तक मास्क नहीं पहनने की सलाह दी और कहा कि कोविड-19 हवा में व्यापक रूप से नहीं फैला है। इसने देशों और खासकर चीन को उसके द्वारा की गई गलतियों के लिए सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं कहा, जबकि डब्ल्यूएचओ के वरिष्ठ अधिकारी निजी तौर पर इस पर चर्चा कर रहे थे। इससे छुद्र राजनीति शुरू हो गई जिससे डब्ल्यूएचओ की विश्वसनीयता को चुनौती मिली और यह विश्व की दो महाशक्तियों के बीच फंस गया।

    अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) द्वारा डब्ल्यूएचओ का समर्थन करने से कुछ राहत मिल सकती है लेकिन संगठन के सामने अब भी बड़ी चुनौतियां मौजूद हैं। (एजेंसी)