Japan declares state of emergency in Tokyo two weeks before Olympics
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तोक्यो: जापानी सत्तारूढ़ पार्टी के नेता योशिहिदे सुगा (Yoshihide Suga) को बुधवार को संसदीय वोट में प्रधानमंत्री चुना लिया गया। योशिहिदे सुगा को सोमवार को जापान (Japan) की सत्तारूढ़ पार्टी का नया नेता चुना गया था और इस तरह उनके प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया था।

सत्तारूढ़ पार्टी प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Shinzo Abe) के उत्तराधिकारी को चुनने के लिए हुए आंतरिक मतदान में सुगा को सत्तारूढ़ लिबरल डेमाक्रेटिक पार्टी (Liberal Democratic Party) में 377 प्राप्त हुए जबकि अन्य दो दावेदारों को 157 वोट हासिल हुए थे।आबे ने पिछले महीने स्वास्थ्य कारणों के कारण अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। वर्तमान में मुख्य कैबिनेट सचिव और आबे के करीबी माने जाने वाले सुगा की जीत तय मानी जा रही थी क्योंकि लिबरल डेमोक्रेटस का सत्तारूढ़ गठबंधन में बहुमत है।

कौन हैं सुगा

जापान के अकिता में जन्में योशिहिदे सुगा एक किसान के बेटे हैं। सुगा ने अकिता में हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी की और फिर वह उच्च शिक्षा टोक्यो में टोक्यो में है। टोक्यो के होसेई यूनिवर्सिटी से उन्होंने अपना ग्रेजुएशन किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ग्रेजुएशन करते हुए खर्चा चलाने के लिए उन्हें मछली बाजार में मछली बेचनी पड़ी थी और उन्होंने कार्डबोर्ड की फैक्ट्री में भी काम किया था। हालांकि, ग्रेजुएशन के तुरंत बाद वह संसदीय चुनाव अभियान के लिए काम करने लगे थे। 

सुगा ने शुरवाती राजनैतिक करियर में  जिस दिए थे 6 जोड़ी जुटे

रिपोर्ट्स के अनुसार, सुगा ने पहले योकोहामा सिटी काउंसिल के लिए चुनाव लड़ा था। जब सुगा सिटी काउंसिल लड़ा तब न उनका कोई राजनीतिक कनेक्शन था और न ही सियासत का अनुभव। उन्होंने घर-घर जाकर प्रचार अभियान सुगा एक दिन में करीब 300 घरों में जाते थे। चुनाव प्रचार खत्म हुआ तो वो लगभग 30,000 घरों में जा चुके थे और उनकी पार्टी के मुताबिक जब चुनाव खत्म हुआ तब तक सुगा 6 जोड़ी जूते घिस चुके थे। जापान के राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि सुगा सेल्फ मेड मैन हैं। 

सुगा का लक्ष्य 

हालांकि, सोमवार को स्थानीय प्रतिनिधियों की शुरुआती मतगणना से संकेत मिले थे कि सुगा के पास दो अन्य दावेदारों पूर्व रक्षा मंत्री शिगेरू इशिबा और पूर्व विदेश मंत्री फूमियो किशिदा पर भारी बढ़त थी। सुगा ने कहा था कि उनकी शीर्ष प्राथमिकताएं कोरोना वायरस से लड़ाई लड़ना और इस महामारी से प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है। उनका कहना है कि वह एक सुधारवादी हैं और उन्होंने नौकरशाही की क्षेत्रीय बाधाओं को तोड़ कर नीतियां हासिल करने का काम किया है।