Taliban made its stand clear on women's education and jobs, Foreign Minister Amir Khan Muttaqi said - committed in principle
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    वाशिंगटन: व्हाइट हाउस (White House) ने कहा है कि, अफगानिस्तान (Afghanistan) में अंतरराष्ट्रीय समुदाय (International Community) से मान्यता प्राप्त करने के लिए तालिबान से जो अपेक्षा की जाती है, उसमें दुनिया एकजुट है और अब यह चीन (China) को तय करना है कि ऐसे हालात में वह कहां खड़े रहना चाहेगा।

    व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘तालिबान से जो अपेक्षाएं हैं उसे लेकर दुनिया एकजुट है। तालिबान ने अफगानिस्तान से जाने की इच्छा रखने वाले लोगों को देश से निकलने की अनुमति दी है और अब चीन को तय करना है कि इस प्रयास में वे कहां है।”

    उन्होंने कहा कि, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कई बार कहा है कि, चीन और रूस को छोड़कर ऐसे कुछ देश हैं जो चाहते हैं कि अमेरिका अफगानिस्तान में रहे क्योंकि उनका अमेरिकी स्वामित्व वाले संसाधनों, अमेरिकी सेना और इसकी वित्तीय संपत्तियों और विकल्पों से संबंध है।

    उन्होंने कहा, ‘‘तालिबान को कई मायनों में हमसे फायदे हैं। मेरा मतलब वैश्विक बाजार में पहुंच से है, जो सिर्फ चीन नहीं है। यह धन की एक श्रृंखला है जो न्यूयॉर्क फेडरल रिजर्व में है। वह अफगान सरकार का पैसा था जिस तक अब उनकी पहुंच नहीं है।” उन्होंने कहा कि अमेरिका दुनिया भर के 100 देशों के गठबंधन के साथ काम कर रहा है जिन्होंने इस बयान पर हस्ताक्षर किए हैं कि तालिबान से उनकी क्या अपेक्षाएं हैं। अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के साथ काम कर रहा है। एक सवाल के जवाब में व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव ने तालिबान के खिलाफ प्रतिबंध हटाने से इनकार किया।

    उन्होंने कहा, ‘‘किसी को भी यह आकलन नहीं करना चाहिए कि हम वर्तमान में तालिबान पर प्रतिबंधों में ढील देने पर विचार कर रहे हैं। उस पर सक्रिय रूप से चर्चा या विचार नहीं किया जा रहा है। हमने तालिबान नेताओं पर प्रतिबंध, दबाव या अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली तक उनकी पहुंच पर महत्वपूर्ण प्रतिबंधों को कम नहीं किया है।”

    उन्होंने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट कर दें कि हमलोग तालिबान को उनके कार्यों के आधार पर परखेंगे। इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए किसी भी कदम को लेकर हमलोग अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ संपर्क में हैं। वहीं हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अफगान लोगों को मानवीय समेत अन्य तरह की सहायता मिलती रहेगी।”