इस देश के इस ऐतिहासिक चर्च में 25 दिसंबर नहीं 6 जनवरी को मनाया जाता ‘क्रिसमस’, जानें रोचक कहानी

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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: समूची दुनिया में 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वैसे तो मुख्य रूप से ‘क्रिसमस’ का त्यौहार ईसाई धर्म का है, लेकिन आजकल यह त्यौहार लगभग हर कोई मनाने लगा है। हर धर्म के लोग इस त्यौहार को मनाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि, इस दिन ईसाईयों के भगवान प्रभु यीशु का जन्म हुआ था। और इसी खुशी में चर्च और घरों को लाइट, क्रिसमस ट्री आदि से सजाया भी जाता है।  

    मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन लोग भगवान यीशु का जन्मदिन मनाते हैं और दुनिया में शांति और अमन बनाए रखने की प्रार्थना करते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं दुनिया में एक ऐसा चर्च भी है, जहां क्रिसमस 25 दिसंबर को नहीं मना कर बल्कि 6 जनवरी को मनाया जाता हैं। आइए जानें इससे जुड़ी रोचक बातें-

    इतिहासकारों के अनुसार, प्रभु यीशु के जन्म के बाद ही ईसाई धर्म का उदय हुआ। वहीं, ‘राजा तिरिडेट्स’ ने ग्रेगरी को पहला कैथोलिक घोषित कर दिया था। ऐसा कहा जाता है कि, ग्रेगरी ने प्रभु यीशु को पृथ्वी पर उतरते देखा था। तब ग्रेगरी ने राजा को बताया कि, प्रभु ने उन्हें आर्मेनिया में चर्च बनाने की बात की।

    उस स्थान पर विशाल ईसाई मंदिर निकला। आज जिसकी गिनती दुनिया के सबसे पुरानी चर्च में की जाती है। इसके बाद से ही वहां लोगों का विश्वास भी बढ़ता गया।

    गौरतलब है कि, ‘अर्मेनियाई अपोस्टोलिक’ चर्च ने क्रिसमस को पूर्णरूपेण से 25 दिसंबर को नहीं, बल्कि 6 जनवरी को ‘क्रिसमस दिवस’ घोषित किया। और तभी से यहां 6 जनवरी के दिन ‘एपिफेनी’ का पर्व मनाया जाता है। और इसी पर्व के उपलक्ष्य में क्रिसमस का पावन त्यौहार मनाया जाता है।