इस्लामाबाद: पाकिस्तान (Pakistan) ने भारत (India) के दूतावास प्रभारी (चार्ज डी’अफेयर्स) को यहां विदेश मंत्रालय में तलब किया और कर्नाटक (Karnataka) में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब (Hijab) पहनने पर प्रतिबंध को लेकर सरकार की गंभीर चिंता से अवगत कराया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार देर रात एक बयान में बताया कि भारतीय राजनयिक को भारत में मुसलमानों के खिलाफ कथित धार्मिक असहिष्णुता, नकारात्मक रूढ़िवादिता, कलंक और भेदभाव को लेकर पाकिस्तान की गहरी चिंता से अवगत कराया गया।बयान के अनुसार, इस बात पर जोर दिया गया कि भारत सरकार को कर्नाटक में महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न के दोषियों की जवाबदेही तय करनी चाहिए और मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त उपाय करने चाहिए।
पाकिस्तान के कई मंत्रियों ने कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद को लेकर चिंता व्यक्त करने के बाद विदेश मंत्रालय की ओर से यह बयान जारी किया गया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि मुसलमान लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना मौलिक मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्री फवाद हुसैन ने कहा कि भारत में जो चल रहा है वह भयावह है। उन्होंने ट्वीट किया,‘‘ अस्थिर नेतृत्व में भारतीय समाज का तेज गति से पतन हो रहा है। हिजाब पहनना किसी भी अन्य परिधान की तरह व्यक्तिगत इच्छा है, नागरिकों को इसकी आजादी दी जानी चाहिए।”
Depriving Muslim girls of an education is a grave violation of fundamental human rights. To deny anyone this fundamental right & terrorise them for wearing a hijab is absolutely oppressive. World must realise this is part of Indian state plan of ghettoisation of Muslims.
— Shah Mahmood Qureshi (@SMQureshiPTI) February 9, 2022
पाकिस्तानी मंत्रियों के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत के केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि किसी भी संस्थान के “ड्रेस कोड (परिधान नियमावली), डिसिप्लिन (अनुशासन), डेकोरम डिसीज़न (गरिमा बनाए रखने संबंधी निर्णय)” को सांप्रदायिक रंग देना भारत की समावेशी संस्कृति के खिलाफ साजिश है। नकवी ने यह भी कहा, ‘‘अपने देश में अल्पसंख्यकों पर जुर्म एवं जुल्म का जंगल बन चुका पाकिस्तान हमें सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता पर ज्ञान दे रहा है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के सामाजिक-शैक्षिक-धार्मिक अधिकारों को बेदर्दी-बेशर्मी के साथ कुचला जा रहा है।”
गौरतलब है कि जनवरी में उडुपी के एक सरकारी ‘प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज’ में छह छात्राओं के निर्धारित ‘ड्रेस कोड’ का उल्लंघन करते हुए हिजाब पहनकर कक्षाओं में आने पर, उन्हें परिसर से बाहर जाने को कहा गया, जिससे एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया और राज्य भर में प्रदर्शन हुए। इसके जवाब में हिंदू छात्र भी भगवा शॉल ओढ़कर विरोध करने लगे। (एजेंसी)