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नई दिल्ली. विश्व पटल से मिली बड़ी खबर के अनुसार, फ्रांस (France) के राजदूत को नाइजर सेना ने बंधक बना लिया है। इस बाबत जानकारी खुद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने दी है। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि, “इधर हम जबकि अभी बात कर रहे हैं, इस वक्त फ्रांस के राजदूत को मानो नाइजर में बंधक बना लिया गया है। वे फिलहाल फ्रेंच एंबेसी में हैं। उन्हें खाना-पानी नहीं दिया जा रहा है। उनके बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई है। वे मिलिट्री राशन पर अपना गुजारा कर रहे हैं।”

यह भी बताते चलें कि, बीते सप्ताह ही नाइजर में हिरासत में लिए गए एक फ्रांसीसी अधिकारी को रिहा किया गया था। इस गिरफ्तारी से फ्रांस और नाइजर के बीच तनाव बढ़ गया था। फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि विदेश में फ्रांसीसी नागरिकों के काउंसलर के रूप में काम करने वाले स्टीफन जूलियन को गिरफ्तार किए जाने के पांच दिन बाद बीते बुधवार को रिहा किया गया है।

क्या है नाइजर के हालात 
जानकारी हो कि, नाइजर सेना ने बीते जुलाई महीने में राष्ट्रपति मोहम्मद बज़ौम को सत्ता से बाहर कर सत्ता खुद कब्जा ली थी। वहीं इन अफ्रीकी देशों में फ्रांस के 1500 सैनिक तैनात हैं और नाइजर भी उनमें एक है। दरअसल लोकतांत्रिक सरकार के साथ हुए एक करार के तहत सुरक्षा के लिहाज से और अन्य कारणों से सैकड़ों की संख्या में फ्रेंच आर्मी यहां तैनात रहती थी। तख्तापलट के बाद नाइजर सेना के चीफ ने फ्रांस के साथ बातचीत करने की कोशिश की थी। राजनयिक रूप से जुड़ने का ऑफर भी दिया था। फ्रेंच राजदूत को मीटिंग के लिए भी बुलाया गया था लेकिन वह सेना के सामने हाजिर नहीं हुए। इस तरह से फ्रांस ने राजनयिक संबंध का ऑफर सीधे-सीधे ठुकरा दिया।

तख्तापलट की महामारी
देखा जाए तो दक्षिण अफ्रीका का साहेल क्षेत्र मानो पूरी तरह से सेना के ही कब्जे में हैं। इस कठिन क्षेत्र में स्थित माली, बुर्किना फासो, गिनी में पहले ही तख्तापलट का कांड हो चुका है और यहां फिलहाल सैन्य शासन चल रहा है। खुद राष्ट्रपति मैक्रों भी यह कहते रहे हैं कि यह क्षेत्र तख्तापलट की महामारी का सामना कर रहा है, वहीं अब नाइजर में भी सेना ने सत्ता पर कब्जा कर लिया है।