Sri Lankan Presidents Office, Ranil Wickremesinghe
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    कोलंबो. श्रीलंका के अंतरिम राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Sri Lanka’s Acting President Ranil Wickremesinghe) ने शुक्रवार को राष्ट्रपति (President) को संबोधित करने के लिए ‘महामहिम’ (His Excellency) शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगाने और राष्ट्रपति के झंडे को खत्म करने का फैसला लिया। उन्होंने अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहे द्वीपीय देश में लोकतंत्र एवं संविधान की रक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई। विक्रमसिंघे श्रीलंका के प्रधानमंत्री भी हैं। श्रीलंकाई संसद द्वारा गोटबाया राजपक्षे का उत्तराधिकारी चुने जाने तक उन्हें अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया है। राजपक्षे को उनकी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के चलते देश को अभूतपूर्व आर्थिक संकट में धकेलने के आरोपों को लेकर बढ़ते विरोध-प्रदर्शनों के मद्देनजर राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

    अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद विक्रमसिंघे ने कहा, “कुछ विशिष्ट लोगों को बचाने के बजाय देश की रक्षा करें।” विक्रमसिंघे ने कहा कि बतौर अंतरिम राष्ट्रपति उन्होंने राष्ट्रपति को संबोधित करने के लिए ‘महामहिम’ शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगाने का फैसला किया है। विक्रमसिंघे ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति के झंडे को खत्म किया जाएगा, क्योंकि देश को सिर्फ एक झंडे के इर्द-गिर्द जुटना चाहिए और वह राष्ट्रीय ध्वज है। टेलीविजन पर प्रसारित संबोधन में उन्होंने कहा, “मैं कभी किसी असंवैधानिक कृत्य के लिए मार्ग प्रशस्त नहीं करूंगा, न ही उसमें कोई सहायता करूंगा।”

    अंतरिम राष्ट्रपति ने आगे कहा कि कानून-व्यवस्था के चरमराने से देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने चेताया कि खाद्य वस्तुओं, बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित हो सकती है, ऐसे में लोगों को आगे की खतरनाक स्थिति को समझना चाहिए। विक्रमसिंघे ने बताया कि देश में बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए एक विशेष समिति गठित की गई है, जिसमें प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस), पुलिस महानिरीक्षक और तीनों सेनाओं के कमांडर शामिल हैं।

    उन्होंने नेताओं से अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को अलग रखने और देश हित के बारे में सोचने की अपील की। श्रीलंका में जारी विरोध-प्रदर्शनों पर टिप्पणी करते हुए विक्रमसिंघे ने कहा कि देश में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए त्वरित कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा, “शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन स्वीकार्य हैं, लेकिन कुछ लोग तोड़फोड़ जैसे कृत्यों में शामिल हैं। ऐसे फासीवादी समूह भी हैं, जो देश में हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में सैनिकों से हथियार और गोला-बारूद छीन लिया था। 24 जवान घायल हुए हैं, जिनमें से दो की हालत गंभीर है।” (एजेंसी)