सावधान… तहसील में पहुंचे फर्जी कृषि रासायनिक प्रोडक्ट

  • किसानों को लूभाने के लिए नेटवर्क मार्केटिंग का फंडा

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बोरीअरब. किसी भी तरह की अनुमति ना होते हुए भी कृषि प्रोडक्ट की ग्रामीण विभागों में बिक्री हो रही है. कृषि केंद्रों के अलावा भी ग्रामीण क्षेत्र में गांव-गांव में किसानों को लूभाया जा रहा है. इसके लिए कंपनी के प्रतिनिधि नेटवर्क मार्केटिंग का फंडा अपना रहें है. इन उत्पादकों से बडे मार्जिन का लालच देकर किसान ही किसान को फंसा रहा होने का चित्र सामने आ रहा है. पुना, मुंबई यहां के प्रोडक्ट होने की बात कहकर अच्छी नियोजन करनेवाले किसानों की उपज की फोटो दिखा रहे है.  इस कंपनी के उत्पाद के उपयोग करने से अच्छी उपज होती है, ऐसा मोहजाल बताया जा रहा है. यह उत्पाद सरकार द्वारा अनुमादित कृषि विक्रेताओं के पास उपलब्ध नहीं हैं.

इस मामले में किसानों से पूछताछ करने के बाद कंपनी से सीधे किसानों को पहुंचाई जाने से कंपनी किसानों को डीलर रेट से माल आपूर्ति करने की बात कहीं जा रही है. किसान आंकड़े दिखाकर इसमें शामिल होते हैं. घर बैठे व्यवसाय का लालच दिखाकर किसानों को इसमें शामिल किया जाता है, जबकि इन उत्पादों की गुणवत्ता के बारे में कोई जानकारी नहीं है, इन उत्पादों को एक किसान से दूसरे किसान को भेजा जा रहा है. किसान आंकड़े दिखाकर इसमें शामिल होते हैं. तहसील में ऐसे किसान हैं जिनके पास कपास, सोयाबीन, हल्दी, सब्जियों आदि का रिकार्ड उत्पादन है. यह दावा किया जाता है कि सोशल मीडिया पर फैली उनकी दवाओं के उपयोग के कारण फसल जोरदार है. यह दावा किया जाता है कि इन उत्पादों का उपयोग पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाडा में किसानों द्वारा किया जा रहा है. वह खेती की लागत जानता है, लेकिन कंपनी द्वारा फंसाए गए तालुका में किसान अन्य किसानों को परेशान कर रहे हैं.

विशेष रूप से, इन दवाओं की कीमत बाजार में उपलब्ध आधिकारिक उत्पाद से अधिक है. केवल नेटवर्क मार्केटिंग के माध्यम से वित्तीय प्रलोभन के कारण व्यवसाय दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और सरकार का कर भी इसमें डूबता जा रहा है। कई किसानों को बनाया जा रहा है. इस संबंध में, संबंधित विभाग को ध्यान देना चाहिए और इन फर्जी प्रकारों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, परिसर के नागरिकों से हो रही है.