Foreign Medical Graduation Exam 2020: Appeal to postpone FMG exam due to Corona, an organization of doctors approached the court

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नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi high Court) ने बुधवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया जिसमें खालिस्तान आंदोलन जैसे भारत विरोधी दुष्प्रचार को कथित तौर पर बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर (Twitter) के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने कहा कि याचिका महज दावों पर आधारित है और इस बारे में केंद्र के पास कोई आवेदन नहीं दिया गया है। मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने कहा, ‘‘याचिका के किसी भी मुद्दे को भारत सरकार के समक्ष नहीं उठाया गया है”और संसद के एक सदस्य के दावों और खबरों के आधार पर यह दायर की गई है।

पीठ ने अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल चेतन शर्मा के तर्क पर भी गौर किया कि याचिकाकर्ता को अदालत में आने से पहले अपनी शिकायत के साथ कार्यपालिका के पास जाना चाहिए। इसने याचिकाकर्ता संगीता शर्मा को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी ताकि वह केंद्र सरकार के समक्ष आवेदन दे सकें।

वकील देश रतन निगम और अवनीश सिन्हा के माध्यम से दायर याचिका में ट्विटर और भारत में इसके प्रतिनिधियों के खिलाफ अवैध गतिविधियां (निवारण) कानून, देशद्रोह और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के भादंसं की धाराओं और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत मामला दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। याचिका में कहा गया था कि ट्विटर पर कुछ ‘‘हैंडल” के माध्यम से अलग खालिस्तान के लिए एजेंडा चलाया जा रहा है।(एजेंसी)