पिंपरी. वर्तमान उपमहापौर तुषार हिंगे से अचानक इस्तीफा लेने के बाद से पिंपरी-चिंचवड शहर के मनपा और सियासी गलियारों में उथल पुथल मच गई है. भाजपा के शीर्ष स्तर से हिंगे के इस्तीफे के पीछे बचे हुए समय में अन्य नगरसेवकों को उपमहापौर पद पर मौका देने के फैसले की वजह बताई गई. इसके बाद महापौर ऊषा उर्फ माई ढोरे की कुर्सी भी डोलने लगी है क्योंकि जिस आधार पर उपमहापौर का इस्तीफा लिया गया उसी आधार पर आगामी मनपा चुनाव के मद्देनजर अन्य नगरसेविकाओं को महापौर पद पर मौका देने के लिए महापौर का भी इस्तीफा लिया जा सकता है.
मनपा चुनाव में सत्ता परिवर्तन के बाद ओबीसी प्रवर्ग के लिए आरक्षित महापौर पद पर पिंपरी- चिंचवड़ में भाजपा के प्रथम महापौर बनने का सम्मान नितिन कालजे को मिला. ढाई साल के कार्यकाल में ओबीसी प्रवर्ग के 2 नगरसेवकों को महापौर पद पर मौका देने के लिहाज से कालजे के बाद राहुल जाधव को महापौर बनाया गया. ये दोनों भी महापौर भाजपा विधायक महेश लांडगे के कट्टर समर्थक हैं. विधानसभा चुनाव के चलते आरक्षण का ड्रा टलने से राहुल जाधव को मिला अतिरिक्त कार्यकाल 21 नवंबर को समाप्त हो गया. इसके बाद पिंपरी- चिंचवड़ का महापौर पद खुले प्रवर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित हुआ है. इसके अनुसार भाजपा के दूसरे विधायक लक्ष्मण जगताप की कट्टर समर्थक ऊषा उर्फ माई ढोरे को महापौर पद पर मौका मिला.
क्या है पूरा मामला
गत वर्ष 22 नवंबर 2019 को ढोरे महापौर और तुषार हिंगे उपमहापौर चुने गए. 11 माह के कार्यकाल के बाद हिंगे से अचानक उन्हें इस्तीफा लिया गया. भाजपा के शहराध्यक्ष और विधायक महेश लांडगे ने सभागृह नेता नामदेव ढाके ने हिंगे के इस्तीफे के पीछे ज्यादा नगरसेवकों को मौका देने की नीति की वजह बताई. प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के आदेश के अनुसार ढाके ने हिंगे को बुलवाकर इस्तीफा देने को कहा. अब जिस आधार पर उनका इस्तीफा लिया गया उसी आधार पर पिंपरी-चिंचवड़ मनपा में महापौर बदलना तय माना जा रहा है. क्योंकि राज्य में महाविकास आघाडी की सरकार बनने के बाद से राष्ट्रवादी कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं. उपमुख्यमंत्री अजीत पवार हर हाल में पिंपरी-चिंचवड़ का अपना गढ़ वापस पाने की जद्दोजहद में जुटे हैं. ऐसे में राष्ट्रवादी को रोकने के लिए अपने ज्यादा से ज़्यादा नगरसेवकों को महत्वपूर्ण पदों पर मौका देने की नीति भाजपा द्वारा अपनाई जा सकती है.
क्या कहना है भाजपा नेताओं का
कुल मिलाकर उपमहापौर तुषार हिंगे के इस्तीफे के बाद से महापौर ऊषा ढोरे की कुर्सी भी डोलने लगी है. भाजपा के आंतरिक सूत्रों के अनुसार उपमहापौर के बाद महापौर का इस्तीफा भी लिया जा सकता है. वहीं एक वरिष्ठ नेता ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर हिंगे का इस्तीफा तो शुरुआत है, आगे- आगे देखो होता है क्या? के संकेत देकर कहा कि यही नीति महापौर और अन्य पदों के मामले में भी अपनाई जाएगी. अगर ऐसा नहीं होता है तो हिंगे के इस्तीफे की वजह कुछ और ही थी, यह साफ हो जाएगा. बहरहाल इस बारे में पूछने पर मनपा में सत्तादल के नेता नामदेव ढाके ने ‘नवभारत’ संवाददाता ने कहा कि उपमहापौर का इस्तीफा लेने का आदेश पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिला था. बचे हुए समय में ज्यादा नगरसेवकों को मौका देने के लिए इसका फैसला किया गया है. हालांकि महापौर पद के बारे में उन्होंने कुछ भी स्पष्ट रूप से कहने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि इस बारे में भी वरिष्ठ स्तर से ही फैसला होगा.