कारंजा-घा.(सं). नागपुर, अमरावती सहित वर्धा जिले के आर्वी, आष्टी व कारंजा तहसील में बड़े पैमाने पर संतरे का उत्पादन लिया जाता है़ गत सप्ताह भरे से जिले में बदरीला मौसम व कोहरा छाया हुआ है़ इसी बीच हुई बेमौसम बारिश से संतरा फसल संकट में आ गई है़ तहसील के अधिकांश संतरा बागों में फल सड़ व गल रहे है़ं इसमें भारी नुकसान होने से किसानों की चिंता और बढ़ गई है.
पेड़ों के नीचे फलों की चादर
क्षेत्र के किसान मृग बहार संतरे का उत्पादन लेते है़ं फिलहाल संतरे को दो माह का समय शेष है. फिलहाल फलों का आकार छोटा है़ परंतु मौसम की मार से अभी से ही फल पेड़ों से सड़ कर गल रहे है़ं पेड़ों के नीचे फलों की चादर बिछी रहती है़ इससे संतरा उत्पादक किसानों में टेन्शन बढ़ गया है़ इस बार अतिवृष्टि के कारण खरीफ मौसम में फसलों का भारी नुकसान हुआ है.
सोयाबीन व कपास की फसल नष्ट होने से किसान आर्थिक अड़चन में है़ं इस मौसम में आर्वी, आष्टी व कारंजा तहसील में किसान संतरे का उत्पादन लेते है़ं इस बार मृग बहार अच्छी दिखाई दे रही है़ पेड़ों को अच्छे फल भी लग रहे है़ं परंतु अचानक मौसम ने करवट बदलने से किसानों में फिर मायूसी है़ बेमौसम बारिश, बदरीला मौसम व कोहरा छाया होने से संतरे पेड़ों से गल कर नीचे गिर रहे है़ं संतरे के उत्पादन में कमी की आशंका जताई जा रही.
किसानों की मेहनत बेकार
मृग बहार संतरा पेडों की ओर जून से मार्च माह तक किसान काफी ध्यान रखते है़ मृग बहार के फल फरवरी से मार्च माह में बड़ा आकार लेकर परिपक्व होते है़ं हरे फल पीले होते है़ं यह संपूर्ण प्राकृतिक प्रक्रिया है़ इसके बाद किसान अपना संतरा बिक्री के लिए मार्केट में लाता है़ परंतु इस बार प्रकृति की अवकृपा से किसान संकट में आ गया है़ दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में हुई बेमौसम बारिश से बागीचे में पेड़ों पर लगे छोटे आकार के फल सड़ने व गलने लगा है़ अभी से ही फल पीले होकर गलने से काफी नुकसान हो रहा है. इस संकट से बचने के लिए किसान कृषि विभाग से मार्गदर्शन मांग रहा है़ परंतु संबंधित विभाग की अनदेखी होने से किसानों में रोष व्याप्त है.
कृषि विभाग दे ध्यान
संतरा फसल को मौसम की मार से बचाने के लिए कृषि विभाग गंभीरता से ध्यान दे. ताकि किसान संभावित नुकसान से बच सके़ ऐसी मांग क्षेत्र के संतरा उत्पादक किसान योगेश दलाल, केवल भक्ते, मुकुंदा ढोबाले व केशव भक्ते सहित अनेक किसान कर रहे है़.