राज्य में एक समान होगी रेत की रॉयल्टी, अवैध उत्खनन पर लगेगा अंकुश

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    गोंदिया. रेत का अवैध उत्खनन आम बात हो गई है. जिले के घाटों से अवैध रेत उत्खनन रूकने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं रेत माफियां द्वारा प्रतिदिन रेत भरकर अवैध परिवहन किया जा रहा है, उनके हौसले इतने बुलंद हैं कि शासकीय कर्मियों से वे विवाद कर शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने से भी पिछे नहीं रहते.

    चोरी की रेत पर अंकुश लगाने के लिए  राजस्व व वन विभाग ने 28 जनवरी को नया आदेश जारी किया है. जिसके अनुसार अब  रेत की रॉयल्टी एक समान होगी.   राजस्व व वन विभाग द्वारा जारी अध्यादेश में कुछ नए नियमों का प्रावधान करने से आम नागरिकों को कुछ हद तक राहत मिलेगी. इससे प्रशासन को होने वाली परेशानी भी कुछ हद तक कम हो जाएगी. 

    ऐसा होगा नया नियम 

    नए अध्यादेश के अनुसार तीन विषय नए से इसमें शामिल किए गए है, इसमें राज्य में सर्वत्र रेत घाटों के लिए रॉयल्टी एक जैसी होगी. पिछले साल व वर्तमान में रेत के भाव आसमान छु रहे हैं. नए नियमों के अनुसार नागरिकों को कम भाव में अब रेत मिल सकेगी. उसी प्रकार अब इस नए आदेश के चलते अवैध रेत उत्खनन पर भी अंकुश लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है. पहले के नियम में 5 हजार ब्रास का घाट 2 करोड़ रु. देकर चढ़ते भाव में रेत बेची जाती थी लेकिन अब अवैध रेत की बिक्री कम होगी.

    पहले पर्यावरण अनुमति जिला प्रशासन द्वारा दी जाती थी. उसमें अब बदलाव करते हुए रेती घाट की नीलामी होने के बाद रेत घाट लेने वाले को 25 प्रश. अनामत राशि रखने के बाद रेत घाट मालिक को ही पर्यावरण अनुमति लाना अनिवार्य होगा. यह अनुमति लाने के बाद ही रेत घाट का कब्जा दिया जाएगा. रेत घाट देने के लिए ग्राम पंचायत का अधिकार अब कम किया गया है. अब यह अधिकार उप विभागीय अधिकारी को दिया गया है.

    ग्रापं ने शुरुआत में रेत घाट देने के संदर्भ में इनकार करने पर उप विभागीय अधिकारी उस गांव में जाकर सभा लेकर रेत घाट बिक्री के लिए ग्राम वासियों को सकारात्मक  रिपोर्ट पेश करेंगे. इस नए नियम से क्या फायदा होगा. यह बताना मुश्किल भले ही होगा लेकिन अनेक ग्रापं के रेत घाटों के लिए स्थायी मामंजमरी बंद होगी. ऐसा कहना गलत नहीं होगा.