नई दिल्ली. एक बड़ी खबर के अनुसार आज सुबह भारतीय नौसेना (India Navy) ने ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) के उन्नत संस्करण की लंबी दूरी की सटीक स्ट्राइक क्षमता का सफल परीक्षण किया है। इसके साथ ही आज इस बेहतरीन मिसाइल ने लक्ष्य को पिन पॉइंट के साथ मार गिराकर फ्रंटलाइन प्लेटफार्मों की लड़ाई और मिशन की तत्परता का एक उम्दा प्रदर्शन किया। पता हो कि इसके पहले नौसेना ने विशाखापत्तनम में बीते 18 फरवरी को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की टेस्ट फायरिंग की थी।
आज इस बाबत नौसेना ने ब्रह्मोस मिसाइल के उन्नत संस्करण की टेस्ट फायरिंग का वीडियो ट्विटर पर साझा करके लिखा है कि “ब्रह्मोस मिसाइल के उन्नत संस्करण की लंबी दूरी की सटीक स्ट्राइक क्षमता को सफलतापूर्वक मान्य किया गया है। यह आत्मनिर्भर भारत के लिए एक और शॉट था।” रक्षा सूत्रों ने यह भी बताया कि इस ब्रह्मोस मिसाइल में इस बार नई और उन्नत प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया, जो पूरी तरह से कामयाब रहा है।
#WATCH | Long-range precision strike capability of Advanced version of BrahMos missile successfully validated. Pinpoint destruction of target demonstrated combat & mission readiness of frontline platforms: Indian Navy
(Source: Indian Navy) pic.twitter.com/xhIJQtQ2f0
— ANI (@ANI) March 5, 2022
वहीं DRDO के कुछ सूत्रों के अनुसार इस ब्रह्मोस मिसाइल में नियंत्रण प्रणाली सहित नई अतिरिक्त तकनीकों के साथ किये गए परीक्षण से मिले विस्तृत आंकड़ों का अब विश्लेषण हो रहा है। इस उन्नत मिसाइल ने समुद्र से समुद्र में वार करने वाले संस्करण की मिसाइल ने निर्धारित लक्ष्य पर बिल्कुल सटीक निशाना लगाया। गौरतलब है कि ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण भारत और रूस के बीच एक संयुक्त उद्यम के तहत हो रहा है। जिसमे DRDO भारत का प्रतिनिधित्व करता है।
गौरतलब है कि नौसेना ने इससे पहले विशाखापत्तनम में बीते 18 फरवरी को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की टेस्ट फायरिंग की थी। जिसके बाद इस युद्धपोत को विशाखापत्तनम बंदरगाह पर खड़ा किया गया है। बता दें कि INS विशाखापत्तनम हाल ही में शामिल भारतीय नौसेना का नवीनतम युद्धपोत है। इससे पहले भी 11 जनवरी को भारतीय नौसेना के आईएनएस विशाखापत्तनम युद्धपोत से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण हुआ था।
पाठकों को बता दें कि ब्रह्मोस भारतीय नौसेना के युद्धपोतों की मुख्य हथियार प्रणाली है और इसे इसके लगभग सभी सतह प्लेटफार्मों पर तैनात किया गया है। इसके साथ ही अब इसका एक पानी के नीचे का संस्करण भी विकसित हो रहा है। पता हो कि इस उन्नत ब्रह्मोस का उपयोग न केवल भारत की पनडुब्बियों में होगा बल्कि यह भारत के मित्र देशों को भी निर्यात के लिए पेश होगा।