- 4.42 करोड़ है बकाया
- 500 फ्लैट ओनर्स बाधित
नागपुर. एम्प्रेस टावर में बनी फ्लैट स्कीम के प्रायोजक केएसएल इंडस्ट्रीज पर 4.42 करोड़ रुपए बकाया होने का कारण देते हुए मनपा ने पेयजल से वंचित रखा है. इसके खिलाफ एम्प्रेस सिटी फ्लैट ओनर्स एसोसिएशन की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि पूरा विवाद मनपा और एम्प्रेस सिटी बिल्डर के बीच है जिसमें फ्लैट ओनर्स का कोई लेना-देना नहीं है. पूरी गलती बिल्डर की है, जबकि फ्लैटधारक इसका खामियाजा भुगत रहे हैं.
सोमवार को याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश एएस चांदूरकर और न्यायाधीश एमडब्ल्यू चांदवानी ने 15 नवंबर तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी. इससे अब दीपावली के पूर्व भी याचिकाकर्ताओं को किसी तरह की राहत नहीं मिल पाई है. फ्लैट स्कीम में जलापूर्ति नहीं होने से 500 परिवार बाधित होने की जानकारी अदालत के समक्ष रखी गई. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. श्रीरंग भांडारकर और मनपा की ओर से अधि. जैमिनी कासट ने पैरवी की.
जलापूर्ति सुचारु करने से मनपा का इनकार
मनपा का मानना है कि याचिकाकर्ता सोसाइटी की जलापूर्ति सुचारु करना संभव नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सभी फ्लैटधारक नियमों के अनुसार इंस्टालेशन चार्जेस भरने के लिए तैयार हैं. लेकिन जो गलती उन्होंने नहीं की उसके लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है. इस मामले में पूरी तरह से बिल्डर की गलती है जिसके लिए फ्लैटधारकों को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि प्रायोजक कम्पनी पर निकाले गए बकाया को लेकर हाई कोर्ट में ही न्यायिक लड़ाई जारी है. विवाद अदालत के विचाराधीन है किंतु संविधान के मूलभूत अधिकारों के अनुसार उन्हें पानी से वंचित नहीं रखा जा सकता है. यही कारण है कि मनपा की अवैध कार्रवाई के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई.
बिल्डर पर होगी कार्रवाई
-मनपा का मानना है कि यदि याचिकाकर्ता सोसाइटी को आपत्ति है तो वह बिल्डर के खिलाफ जा सकती है लेकिन तब तक मनपा के लिए सोसाइटी को पानी उपलब्ध करना संभव नहीं है.
-मनपा की ओर से दी गईं दलीलों पर अदालत का मानना था कि यह मामला काफी गंभीर होता जा रहा है. अत: बिल्डर से मनपा को कितनी निधि लेना है. इसका लेखाजोखा उजागर होना चाहिए.
-अदालत ने कहा कि किस तारीख को मीटर कनेक्शन दिया गया, जिस व्यक्ति के नाम कनेक्शन दिया गया, पहले दिन से जब बिल जारी किया गया, इसकी विस्तृत जानकारी अदालत के समक्ष रखी जानी चाहिए.