नयी दिल्ली. कर्नाटक के लोकप्रिय दूध ब्रांड नंदिनी के साथ बाजार में संघर्ष को लेकर राजनीतिक विवाद में फंसने के बीच अमूल ब्रांड के तहत दुग्ध उत्पादों की बिक्री करने वाली गुजरात की सहकारिता कंपनी के प्रमुख ने मंगलवार को कहा कि वह बेंगलुरु में केवल ऑनलाइन चैनल के जरिये दूध और दही बेचेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि नंदिनी दूध के साथ उनकी कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। नंदिनी दूध राज्य सरकार की सब्सिडी की वजह से सस्ता बैठता है।
गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता ने कहा कि ‘अमूल बनाम नंदिनी’ परिदृश्य नहीं हो सकता क्योंकि दोनों सहकारी समितियां किसानों के स्वामित्व वाली हैं। उन्होंने कहा कि जीसीएमएमएफ अपने अमूल उत्पादों को केवल ई-कॉमर्स मंच के माध्यम से बेचेगी और उसका कर्नाटक में पूर्ण रूप से प्रवेश की कोई योजना नहीं है। उनके अनुसार, अमूल वर्ष 2015-16 से उत्तरी कर्नाटक के दो जिलों में ताजा दूध बेच रही है, लेकिन ‘कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है’ क्योंकि कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (केएमएफ) का नंदिनी दूध अमूल की तुलना में बहुत सस्ता है, क्योंकि उसे राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी दी जा रही है।
#WATCH | There is no issue of Amul vs Nandini. Both are cooperatives and owned by farmers and both have been working together for the last several decades to make India the largest producer of milk in the world: Jayen Mehta, Amul MD on Amul vs Nandini controversy in poll-bound… pic.twitter.com/8XWC8MrwZZ
— ANI (@ANI) April 11, 2023
उन्होंने कहा कि अमूल का दूध 54 रुपये प्रति लीटर है जबकि नंदिनी का दूध 39 रुपये प्रति लीटर है, क्योंकि राज्य सरकार किसानों को सब्सिडी देती है। पांच अप्रैल को अमूल द्वारा बेंगलुरु में दूध और दही की आपूर्ति करने की घोषणा के बाद से एक राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी दलों – कांग्रेस और जनता दल (एस) ने राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा पर अपना निशाना साधा है, जबकि विधानसभा चुनाव सिर्फ एक महीने दूर हैं। विपक्षी दलों ने आशंका व्यक्त की है कि 21,000 करोड़ रुपये के नंदिनी ब्रांड का अमूल के साथ विलय किया जा सकता है।
मेहता ने कहा, ‘‘विलय का कोई सवाल ही नहीं है। दोनों सहकारी समितियां हैं। अमूल का स्वामित्व गुजरात के किसानों के पास है और नंदिनी का स्वामित्व कर्नाटक के किसानों के पास है। हम दोनों भारत के सहकारी डेयरी उद्योग के निर्माण के लिए अभी से नहीं बल्कि दशकों से साथ काम कर रहे हैं।”
मेहता ने कहा, “इनके कारण भारत को दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक बना है। मेहता जो वर्तमान में जीसीएमएमएफ के प्रभारी प्रबंध निदेशक हैं, ने कहा कि ‘नंदिनी को अमूल से कोई खतरा नहीं है’ और न ही अमूल को नंदिनी से कोई खतरा है। दोनों सहकारी समितियां एक-दूसरे के साथ तालमेल और सहयोग के साथ काम कर रही हैं।”
कर्नाटक में अपने उत्पादों की पेशकश के बारे में, मेहता ने कहा कि सहकारी समिति वर्ष 2015-16 से उत्तर कर्नाटक में हुबली और धारवाड़ में ताजा दूध बेच रही है, हालांकि इसकी मात्रा इन दो जिलों में नंदिनी द्वारा प्रतिदिन बेचे जाने वाले लगभग 1.30 लाख लीटर दूध के मुकाबले केवल 8,000-10,000 लीटर ही है। उन्होंने कहा, ‘लोग कह रहे हैं कि अमूल ने कर्नाटक में प्रवेश किया है। लेकिन हम वहां वर्ष 2015-16 से ही हैं।’
उन्होंने कहा कि बेंगलुरु में हाल ही में बाजार में पेश किया गया अमूल ताजा (टोन्ड मिल्क) केवल और केवल ई-कॉमर्स मंच के माध्यम से उपलब्ध है। उन्होंने दक्षिणी राज्य में पूर्ण प्रवेश की योजना को भी खारिज कर दिया क्योंकि कीमत में बड़े अंतर की वजह से यह संभव नहीं है।
जीसीएमएमएफ के पास कर्नाटक में दूध प्रसंस्करण संयंत्र और अन्य बुनियादी ढांचा नहीं है। उन्होंने दो सहकारी समितियों के बीच संबंध का उदाहरण देते हुए कहा कि आज भी अमूल आइसक्रीम नंदिनी के दूध से तैयार की जा रही है और उनके संयंत्रों में पैक की जा रही है। आइसक्रीम के लिए यह जुड़ाव वर्ष 1998 से बना हुआ है।