Govinda's Connection with Dawood

Loading

नवभारत न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई:
फिल्म अभिनेता गोविंदा 14 साल बाद एक बार फिर से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की है। इस बार गोविंदा किस सीट से उम्मीदवार होंगे ? पिछली बार गोविंदा कांग्रेस से चुने गए थे। उत्तर मुंबई सीट से उस वक्त गोविंदा ने बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम नाईक को हराया था। उस दौरान राम नाईक ने गोविंदा पर गंभीर आरोप भी लगाए थे। अब गोविंदा के शिवसेना में शामिल होने के बाद राम नाईक ने पहली बार प्रतिक्रिया दी है। राम नाईक ने कहा है कि वह अब भी अपनी राय पर कायम हैं। मेरी किताब में भी इस बात का जिक्र है कि गोविंदा के दाऊद से संबंध हैं।

राम नाईक ने क्या कहा
राम नाईक ने गोविंदा की पार्टी में एंट्री पर टिप्पणी की। राम नाईक ने कहा है कि वह अब भी अपनी राय पर कायम हैं। मेरी किताब में भी इस बात का जिक्र है कि गोविंदा के दाऊद से संबंध हैं। मैं गोविंदा से परिचित हूं। लेकिन मैं उन्हें कभी दोस्त नहीं कह पाऊंगा। उन्होंने मेरे खिलाफ चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। अब अगर उनकी उम्मीदवारी की घोषणा होती है तो मैं उनके बारे में बात नहीं करूंगा। नामांकन मिलने के बाद अगर गोविंदा कोई पद प्राप्त करते हैं तो मैं उनके बारे में जरूर बात करूंगा। अभी उन पर इससे ज्यादा बोलना उचित नहीं होगा।

ऐसा लगता है कि वे झूठ बोल रहे हैं
राजनीति में ऐसी कोई बात नहीं है। सारा काम दो शब्दों में करना होगा, हाँ या ना। मैं यही सोचता रहता हूं कि गोविंदा झूठ बोल रहे हैं या नहीं। गोविंदा ने कहा था, मैंने राजनीति छोड़ दी है। गोविंदा ने एक नहीं बल्कि दो-तीन बार कहा कि मैं राजनीति में नहीं आऊंगा। इसके बाद वह राजनीति में लौट आये। नाईक ने चुटकी लेते हुए कहा, इसलिए मुझे लगता है कि वे झूठ बोल रहे हैं।

गोविंदा और दाऊद का रिश्ता ?
राम नाईक गोविंदा के दाऊद से रिश्ते के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि वह अपने इस आरोप पर कायम हैं कि गोविंदा ने दाऊद की मदद ली थी। मैं अपने आरोप पर कायम हूं। उन्होंने मेरे आरोपों का खंडन नहीं किया। उन्हें चुनौती भी नहीं दी गई। इतने सालों में उनका कोई भी दोस्त आरोपों को खारिज करने के लिए आगे नहीं आया। मैंने अपनी किताब में इस आरोप का जिक्र किया है। किताब प्रकाशित हुए सात-आठ साल हो गए हैं। इतने सालों में उन्होंने कुछ नहीं कहा। इतने सालों में मैंने कभी ऐसा कुछ नहीं कहा कि मेरी बातों का कोई उल्टा मतलब निकाला जाए। मेरे पास कभी भी अपने शब्द वापस लेने की स्थिति नहीं आई है। उन्होंने यह भी कहा कि मैं सोच-विचार कर ही बोलता हूं।

अब पहले जैसी शिवसेना नहीं रही
बीजेपी ने जो भी उम्मीदवार दिए हैं वो सब मजबूत और सक्षम हैं। एनसीपी की मुंबई में कोई ताकत नहीं है। उन्हें जनता का समर्थन नहीं है। मुंबई में उनका विधायक कभी नहीं चुना गया। यही स्थिति शिवसेना की भी हो गई है। एक बड़ा समूह शिवसेना छोड़ चुका है। इसलिए राम नाईक ने कहा है कि शिवसेना अब पहले जैसी नहीं रही।