Karnataka relaxes lockdown rules, removes many restrictions
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  • बुरी तरह से प्रभावित हुआ मत्सय व्यवसाय

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पवनी (सं). लॉकडाउन के कार्यकाल में अन्य व्यवसाय के अनुसार मत्स्यव्यवसाय भी संकट में आया है. भंडारा जिला यह तालाबों के जिले के रूप में पहचाना जाता है. यहां बड़े पैमाने पर मत्स्य उत्पादन लिया जाता है, किंतु लॉकडाउन के कार्यकाल में बड़ी मछलियों का बाजार और परिवहन बंद रहने से मजदूरों को रोजगार उपलब्ध नहीं हो रहा है. मछली की मांग इन दिनों काफी घट चुकी है. इसका परिणाम मत्स्य उत्पादक सहकारी संस्था एवं नदी में मछलीमारी करनेवाले मछुआरे ढीमर, भोई, कहार एवं तत्सम समाज पर हुआ है. इसलिए मछुआरों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

तालाब की लीज करें माफ
इस वर्ष की तालाब की लीज माफ कर 1 वर्ष की अवधि में वृद्धि तथा मछुआरों के लिए विशेष आर्थिक पैकेज घोषित करने की मांग भंडारा जिला मत्स्य व्यवसाय सहकारी संघ के अध्यक्ष प्रकाश पचारे ने की है. भंडारा जिले में मामा तालाब 1,154, पाझर तालाब 15, लघु सिंचाई तालाब 144 तथा सिंचाई तालाब 72 समेत कुल 1,385 तालाब हैं. यहीं से बड़े पैमाने पर मछलियां इकट्ठा कर व्यवसाय किया जाता है.

हरियाणा, पंजाब में है मांग
बांध एवं नदी तल से मराल, पलान, शिंगाला, पापड़ा, झिंगा जैसी मूल्यवान मछलियां प्राप्त की जाती हैं. इन मछलियों की दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में बड़ी मांग होने है. नागपुर में विदेशी व्यापारियों के आगमन, विदर्भ में मुख्य मछली बाजार एवं परिवहन बंद होने के कारण मछली की मांग में गिरावट आई है. इस कारण मछलीमार आर्थिक संकट में आए है. इसलिए भंडारा जिला मत्स्यव्यवसाय सह.

संघ के अध्यक्ष तथा अखिल भारतीय मछलीमार कांग्रेस के सचिव प्रकाश पचारे ने मांग की है कि मत्स्यव्यवसाय सह. संस्था की ओर होनेवाले जिप. के मामा तालाब, पाझर तालाब, लघु सिंचाई तालाब तथा मत्स्यव्यवसाय विभाग की ओर होनेवाले तालाब की लीज माफ करके एक वर्ष की मियाद में वृद्धी देनी चाहिए. तथा मत्स्यव्यवसाय सह. संस्था के मच्छिमार तथा नदी एवं बांध से मछलियां पकडनेवाले मच्छूआरों को राज्य सरकार ने आर्थिक पैकेज घोषित करे.