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  • कोरोना के चलते गांव लौटे

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भंडारा. कोरोना महामारी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भी भारी दहशत का वातावरण व्याप्त है. अपना गांव छोड़कर महानगर में काम करने गए युवकों को कोरोना के कारण इतनी परेशानी उठानी पड़ रही है कि अब इन लोगों ने अपने गांव में ही रोजगार तलाशने का निश्चय लिया है.

महानगर में भूखे मरने से बेहतर है, अपने गांव में ही काम करके परिवार वालों के साथ रहते हुए गांव को समृद्ध बनाने में हर गांव के युवक सहयोग दें. कोरोना के कारण जिन लोगों के हाथ से काम चला गया है, उन्होंने अब वह शहर ही छोड़ दिया है, जहां वे रहते और काम करते थे. कोरोना ने हर युवक को अपने ही गांव में काम करने का अवसर दिया है. इसलिए सुशिक्षित बेरोजगार सामूहिक रूप से गांव में कारखाने खोलें तथा गांव के लोगों को काम के लिए किसी दूसरे गांव या बड़े शहर में जाने की जरूरत ही नहीं है.

कोरोना विषाणु के फैलाव से पहले भंडारा समेत राज्य के अन्य क्षेत्रों के युवकों का झुकाव मुंबई, पुणे, नागपुर, औरंगाबाद जैसे शहरों में रोजगार करने के प्रति ज्यादा रहा है, लेकिन कोरोना के कारण बदले हालातों को देखते हुए अब सुशिक्षित बेरोजगारों समेत मजदूरों की धारणा भी यही बन गई है कि अब तो अपने गांव में रहकर कुछ काम करना है.