Anupriya-Patel

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    ‘अपना दल’ आज केंद्र व राज्य सरकार के लिए सूत्रधार साबित हो रही है तो इसमें एक सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण हाथ अनुप्रिया पटेल का है। राजनीतिक सूझबूझ के परिणामस्वरूप आज ‘अपना दल’ 6 फीसदी कुर्मी वोटर्स के दम पर सत्ताधारी हो गई है, और यूपी कैबिनेट से लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल तक, अपनी जगह पक्की कर चुकी है। अनुप्रिया, राजनीति में एक के बाद एक लंबे-लंबे कदम नाप रही हैं। विधायक से सांसद और फिर केंद्रीय मंत्री तक के सफर में उन्होंने कई पेंचीदा परिस्थितियों में कठिन और सार्थक निर्णय लिए हैं। एक सशक्त नेता के रूप में राजनीतिक गलियारों में अपनी एक विशिष्ठ और अलग छवि विकसित करने में अनुप्रिया सबसे आगे रही हैं।

    उन्होंने धैर्य, साहस और सौम्यता का साथ कभी नहीं छोड़ा। जिसका परिणाम समय के साथ नजर आने लगा जब मोदी जी की लहर में देश की सारी सियासी हवा हिंदुत्व और भगवा की ओर बढ़ी, तो माया भी खुद को निष्क्रिय महसूस करने लगीं, फिर सत्ता से मोहभंग कहें या अन्य को ऊपर उठने का अवसर, माया की उदासीनता को अनुप्रिया खेमे  ने खूब परखा और आजाद समाज जैसे अन्य छोटे दलों के उभरते नेताओं को पीछे छोड़, पिछड़े खासकर युवा, बेरोजगार वर्ग की प्रमुख और लोकप्रिय नेता बन गईं।

    सियासी गलियारों में अवसरों की भरमार

    अनुप्रिया की अगुवाई में अपना दल (एस) के लिए सियासी गलियारों में अवसरों की कोई कमी नहीं है, जिसे लगातार भुनाने की प्रक्रिया भी जारी है। उत्तर प्रदेश के साथ देशभर में कुर्मी जाति का एक बड़ा समुदाय मौजूद है, जो केंद्रीय राजनीतिक सक्रियता में अपना लीडर तलाश रहा है। हाल ही में चुनार, मिर्जापुर में हुए कुर्मी क्षत्रिय महासभा में जुटी भीड़ इस बात का प्रमाण है कि यूपी के साथ देश का एक बड़ा वर्ग, बदलाव की ओर निहार रहा है। बदलाव जो रंगों से परहेज न करता हों, न्याय के पथ पर अग्रसर हो और जन उत्थान के प्रति प्रतिबद्धता से टिका हो। वह आज भी पिता सोनेलाल के जातिगत फॉर्मूले पर चल रही हैं, और मीडिया के प्रश्न का बेबाकी से उत्तर देते हुए जातिगत जनगणना की बात करती हैं।

    राजनीतिक रणनीतिकार अतुल मलिकराम के अनुसार अक्सर उन्हें सार्वजानिक मौकों पर अपने स्टैंड पर खड़े रहते देखा गया है, और जन सुनवाई हो या काम को अंजाम तक पहुंचाना, अभी तक मिली सभी भूमिकाओं को वह स्वतंत्र और प्रभावी तरीके से निभा रही हैं। हालांकि हाल में पार्टी के आलाकमान पर लगे टिकट बेंचने और पैर छूने के लिए पैसे देने जैसे आरोप, पार्टी को मिया बीवी प्राइवेट लिमिटेड जैसे चलाने के इल्ज़ाम, कहानी को दूसरी दिशा में मोड़ देते हैं। लेकिन कामयाबी के पंख पसरते देख, उन्हें कुतरने की शैली राजनीति में पुरानी है। अनुप्रिया और अपना दल (एस) का सुनहरा सफर अभी अपने शुरूआती दौर में है और एक लम्बी दूरी तय करने के लिए तैयार है।