नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वाहन निर्माताओं को बिक्री के समय वाहनों के ध्वनि स्तर के बारे में उपभोक्ताओं को जानकारी देने का निर्देश दिया है। एनजीटी का कहना है कि ध्वनि प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य के लिये एक गंभीर खतरा है।
नयी दिल्ली.नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वाहन निर्माताओं को बिक्री के समय वाहनों के ध्वनि स्तर के बारे में उपभोक्ताओं को जानकारी देने का निर्देश दिया है। एनजीटी का कहना है कि ध्वनि प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य के लिये एक गंभीर खतरा है। उसने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) को निर्देश दिया कि वह विनिर्माण स्तर पर वाहनों के लिये शोर उत्सर्जन मानकों को अधिसूचित करे और इसके बाद मानकों पर अमल के लिये वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 1981 की धारा 20 के तहत संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करे।
एनजीटी ने कहा कि उपभोक्ताओं और सार्वजनिक प्राधिकरणों को वाहनों के कारण होने वाले ध्वनि प्रदूषण की जानकारी होने से यह खरीद के निर्णयों को प्रभावित कर सकता है। एनजीटी ने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि वाहन निर्माताओं को बिक्री के समय और तकनीकी प्रचार सामग्री में वाहनों के ध्वनि स्तर के बारे में जानकारी प्रदान करनी चाहिये। उन्हें वाहन के ध्वनि उत्सर्जन के बारे में उपभोक्ताओं को जानकारी प्रदान करनी चाहिये।”
न्यायमूर्ति शिव कुमार सिंह और न्यायमूर्ति सिद्धान्त दास की पीठ ने यह भी कहा कि अधिकृत एजेंसी द्वारा जारी वैध प्रदूषण नियंत्रण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसी) वाले वाहनों को ही महाराष्ट्र में चलने की अनुमति है, ताकि वाहनों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को रोका जा सके। पीठ ने कहा, “हम इस तथ्य पर जोर देना चाहते हैं कि शहरी क्षेत्रों में सामान्य रूप से शोर का स्तर बढ़ रहा है, और विशेष रूप से बच्चों व बूढ़े लोगों के स्वास्थ्य के लिये यह एक गंभीर खतरा है।” (एजेंसी)