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मुंबई: कोरोना संक्रमण (Covid 19) के बाद से ही दुनियाभर में मंदी ने रफ्तार पकड़ ली है। आए दिन दुनियाभर में चल रही मंदी के चलते कई बड़ी कंपनियां छंटनी (Lay Off) कर रही है।  फिर चाहे वो दिग्गज कम्पनी अमेजन (Amazon) हो या फिर फेसबुक (Facebook), माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) और इन्फोसिस (Infosys) या फिर डेल हो। छंटनी की इस लिस्ट में ये सब शामिल हैं। हालाँकि ट्विटर भी इस क्रम में पीछे नहीं रहा हैं, आज फिर ट्वीटर (Twitter) ने अपने कर्मचारियों की संख्या को और घटाने का निर्णय लिया है। आज ट्विटर ने करीब 200 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। यह ट्विटर के लगभग 2,000 कर्मचारियों का 10% है।

कंपनी की इंटरनल मैसेजिंग सर्विस ऑफ़लाइन 

एक मीडिया रिपोर्ट (Media Report) में यह जानकारी दी गई है। चूंकि एलोन मस्क ने अक्टूबर में सोशल मीडिया (Social Media) प्लेटफॉर्म खरीदा था, इसलिए उन्होंने इसके लगभग 7,500 कर्मचारियों में से आधे से अधिक कर्मचारियों (Employees) को निकल दिया है। 5 वर्तमान और पूर्व कर्मचारियों ने बताया कि कंपनी की इंटरनल मैसेजिंग सर्विस को ऑफ़लाइन (Offline) कर दिया गया है। इसके जरिए कर्मचारी आपस में चैट कर सकते थे। कुछ कर्मचारियों ने खुद को अपने कॉर्पोरेट ईमेल (Email) और लैपटॉप से ​​लॉग आउट पाया। मशीन लर्निंग और साइट की लॉयल्टी पर काम करने वाले प्रोडक्शन डायरेक्टर, डेटा साइंटिस्ट और इंजीनियर छंटनी से प्रभावित हुए हैं। कंपनी ने उन कर्मचारियों को भी निकाल दिया है जो ट्विटर द्वारा अधिग्रहित एक या दूसरे स्टार्टअप (Start Up) के फाउंडर थे। 

कर्मचारियों का पैकेज भी काफी ज्यादा

कंपनियों के अधिग्रहण की वजह से इन कर्मचारियों का पैकेज (Package) भी काफी ज्यादा है। 27 अक्टूबर को 44 बिलियन डॉलर के सौदे में ट्विटर का अधिग्रहण करने के बाद एलोन मस्क (Elon Musk) ने कंपनी के चार सीनियर अधिकारियों को निकाल दिया। इनमें सीईओ पराग अग्रवाल, फाइनेंस हेड नेड सहगल, और कानूनी अधिकारी विजया गड्डे और सीन एडगेट शामिल हैं। कॉस्ट कटिंग के लिए आधे से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी की जा चुकी है। कटौती के बाद मस्क ने कहा था कि जब कंपनी को प्रतिदिन 4 मिलियन डॉलर (32.77 करोड़ रुपये) का नुकसान हो रहा है, तो हमारे पास कर्मचारियों की छंटनी करने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं है। मस्क ने कुछ देशों में 8 डॉलर में ट्विटर ब्लू सब्सक्रिप्शन (Blue Subscription) लॉन्च किया है। यदि लोग इसे नहीं खरीदते हैं, तो वे अपना सत्यापित चेकमार्क खो देते हैं। भारत में यह सर्विस मोबाइल (Mobile) के लिए 900 रुपये प्रति माह और वेब यूजर्स (Web Users) के लिए 650 रुपये में शुरू की गई है।