इंडिया रेटिंग्स ने आंकड़ों में संशोधन के कारण 2021-22 के जीडीपी वृद्धि अनुमान को 8.6 प्रतिशत किया

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    मुंबई: साख निर्धारण एजेंसी इंडिया रेटिंग्स ने 2021-22 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की वृद्धि दर 8.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। यह राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के चालू वित्त वर्ष के लिये जताये गये 9.2 प्रतिशत के अनुमान से कम है।   एनएसओ राष्ट्रीय आय का दूसरा अग्रिम अनुमान सोमवार को जारी करेगा। 

    इंडिया रेटिंग्स के विश्लेषण के अनुसार एनएसओ 2021-22 के लिये जीडीपी 147.2 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगा सकता है। इसके आधार पर जीडीपी वृद्धि दर 8.6 प्रतिशत होगी। जबकि सात जनवरी, 2022 को जारी पहले अग्रिम अनुमान के तहत जीडीपी वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।

    एजेंसी ने कहा कि जीडीपी वृद्धि दर अनुमान में कमी का मुख्य कारण 2020-21 के लिये राष्ट्रीय आय के पहले संशोधित अनुमान को बढ़ाकर 135.6 लाख करोड़ रुपये किया जाना है। इसे 31 जनवरी, 2022 को जारी किया गया था। इसके कारण वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी वृद्धि दर में 6.6 प्रतिशत की गिरावट रही जबकि पूर्व में इसमें 7.3 प्रतिशत का संकुचन आने की बात कही गयी थी।

    इसके अलावा, वित्त वर्ष 2019-20 के लिये राष्ट्रीय आय के दूसरे संशोधित अनुमान में इसके 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया जबकि पूर्व में इसके चार प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी थी। वहीं 2018-19 के तीसरे संशोधित अनुमान में जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखी गयी।

    इन संशोधनों की वजह से मांग पक्ष की ओर से जीडीपी वृद्धि को गति देने वाले प्रमुख कारक निजी अंतिम खपत व्यय, सरकार का अंतिम उपभोग व्यय, सकल स्थिर पूंजी निर्माण के आंकड़ों में भी बदलाव हुआ है। साथ ही तिमाही जीडीपी वृद्धि दर के आंकड़ों में भी इस साल बदलाव की संभावना है।

    चूंकि वित्त वर्ष 2019-20 के आर्थिक वृद्धि दर को संशोधित कर कम किया गया है, ऐसे में एजेंसी का मानना है कि 2019-20 की सभी चार तिमाहियों के आंकड़े मौजूदा अनुमान के मुकाबले कम होंगे। इसका मतलब है कि 2020-21 के आंकड़ों को संशोधित कर बढ़ाया जा सकता है जबकि 2021-22 के तिमाही जीडीपी आंकड़ों को संशोधित कर कम किया जा सकता है।

    इंडिया रेटिंग्स के अनुसार, 2021-22 की पहली और दूसरी तिमाही के आंकड़े पूर्व के अनुमान के मुकाबले 0.9 प्रतिशत से 1.1 प्रतिशत कम हो सकते हैं। वहीं तीसरी और चौथी तिमाही में यह क्रमश: 5.6 प्रतिशत और 5.1 प्रतिशत रह सकता है। यह पूर्व के अनुमान क्रमश: छह प्रतिशत और 5.7 प्रतिशत से कम है।